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    कोरोना के बाद अब एवैस्क्लुर नेक्रोसिस का खतरा, क्‍या है ये नई आफत? आप भी जान लें लक्षण

  • July 08, 2021

    ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस के बाद कोरोना से रिकवर हुए मरीजों में अब एक नई दिक्कत देखी जा रही है. कोविड-19 से रिकवर होने वाले कुछ मरीजों में एवैस्क्लुर नेक्रोसिस (AVN) यानी बोन डेथ के मामले देखे जा रहे हैं. इस मेडिकल कंडीशन में शरीर के किसी हिस्से की हड्डियां गलना शुरू कर देती हैं.

    एवैस्क्लुर नेक्रोसिस (avascular necrosis) के लिए डॉक्टर्स रिकवरी के दौरान मरीज को दिए गए स्टेरॉयड को जिम्मेदार मान रहे हैं. मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में ऐसे तीन मरीजों की पुष्टि हो चुकी है. आइए आज आपको बताते हैं कि आखिर एवैस्क्लुर नेक्रोसिस किस बीमारी का नाम है. इसके लक्षणों की कैसे पहचान करें और इस बीमारी से उबरने में मरीज को कितना समय लग सकता है.

    क्या है एवैस्क्लुर नेक्रोसिस-
    एवैस्क्लुर नेक्रोसिस (AVN) में शरीर के किसी भाग में हड्डियों तक खून की सप्लाई बंद होने से उन पर बुरा असर पड़ने लगता है. इस तरह हड्डियों (bones) के टिशू गलना शुरू कर देते हैं और धीरे-धीरे हड्डियां गलना शुरू हो जाती हैं. इसमें हड्डियां को हाल ठीक वैसे ही होता है जैसा ब्लड सप्लाई बंद होने के बाद दिल और दिमाग का होता है. जब दिल तक ब्लड सप्लाई नहीं होती तो इंसान को हार्ट अटैक (heart attack) आता है और दिमाग तक सप्लाई बंद होने से स्ट्रोक की दिक्कत होती है.

    किन्हें हो सकती है AVN की दिक्कत- डॉक्टर्स कहते हैं कि लाइफ सेविंग ड्रग्स ले रहे लोगों में AVN की दिक्कत बढ़ सकती है. फेफड़ों में इंफेक्शन(lung infection) का जोखिम कम करने वाले स्टेरॉयड कूल्हे या जांघ वाले हिस्से में ऐसी परेशानी बढ़ा सकती हैं. हम कोविड-19 मरीजों की रक्त वाहिकाओं में स्टेरॉयड की वजह थ्रोम्बोसिस की समस्या भी देख चुके हैं. डॉक्टर्स का दावा है कि स्टेरॉयड पर रहने वाले रोगियों में AVN से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है.



    कैसे पता लगाएं AVN-
    डॉक्टर्स कहते हैं कि MRI की मदद से AVN का पता लगाया जा सकता है. सिर्फ एक्स-रे की मदद से शरीर में इसकी पुष्टि नहीं हो सकती है. इसलिए शरीर की हड्डियों में दर्द होने पर तुरंत इसकी चांज कराएं. कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों को तो खासतौर से इसका ख्याल रखना चाहिए.

    क्या बंद कर देने चाहिए स्टेरॉयड
    डॉक्टर्स कहते हैं कि रोगियों को स्टेरॉयड (steroids) न देना सॉल्यूशन नहीं है. लेकिन स्टेरॉयड देने के बाद उन्हें कूल्हे की तरफ इसके रिएक्शन हो सकते हैं. ऐसे में MRI से इसकी पहचान कर इलाज किया जा सकता है. कोविड के बाद होने वाली तमाम दिक्कतों की तरह इसका इलाज भी संभव है.

    किस को बना रही शिकार-
    जिन तीन लोगों में AVN के लक्षण देखे गए हैं, वे खुद डॉक्टर्स हैं. इसलिए वे सभी इस बीमारी से वाकिफ थे, इसलिए उन्होंने इस बीमारी को लेकर जरा भी देरी नहीं की और तुरंत MRI कराया. समय पर बीमारी का पता लगने की वजह से उनकी हालत में सुधार आ गया. डॉक्टर्स का दावा है कि कोरोना से रिकवरी (corona recovery) के दौरान स्टेरॉयड लेने वाले मरीजों में इसकी दिक्कत देखने को मिल रही हैं.

    डॉक्टर्स कहते हैं कि अगर AVN के दर्द को लगातार नजरअंदाज किया जाए तो हालत बिगड़ सकती है. यह बीमारी अगर अपने अंतिम चरणों में पहुंच जाए तो इसे मेडिकल मैनेजमेंट से ठीक कर पाना लगभग असंभव हो जाता है. इसके बाद मरीज को सर्जरी तक करवानी पड़ सकती है. इसलिए शुरुआत में ही किसी अच्छे ऑर्थियोपेडिक से इसकी जांच कराएं.

    क्या हैं लक्षण-
    AVN के मरीजों में कई तरह के सामान्य लक्षण देखे जा सकते हैं. उन्हें कूल्हे और कमर में दर्द (back pain) की समस्या हो सकती है. खड़े होने या चलने में भी परेशानी हो सकती है. जोड़ों में बहुत दर्द रहने लगता है. इसलिए शरीर में इस तरह के लक्षणों को बारीकी से देखें और समय पर जांच जरूर कराएं.

    एवैस्कुलर नेक्रोसिस के कारण-
    एवैस्कुलर नेक्रोसिस स्टेरॉयड के अत्यधिक इस्तेमाल के अलावा बड़ी इंजरी, एल्कोहल के ज्यादा सेवन, ब्लड डिसॉर्डर, रेडिएशन ट्रीटमेंट, कीमोथैरेपी, पैंक्रियाटाइटिस, डीकम्प्रेशन डिसीज, ऑटोइम्यून डिसीज और एचआईवी की वजह से भी हो सकता है.

    क्या है इलाज-
    AVN का इलाज करीब 3 साल तक चलता है, लेकिन लेकिन अगर मरीज का शरीर सही रिस्पॉन्स करे तो 3-6 सप्ताह के भीतर इसके दर्द से राहत मिल सकती है. धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार आ जाता है. वे चलने फिरने लगते हैं. बस मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर सही से इलाज करने की जरूरत होती है.

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