अब यह बात लगभग सभी जान चुके हैं कि कोरोना संक्रमण (corona infection) के बाद मरीजों में इसके लक्षण बहुत दिनों तक कायम रहते हैं। कुछ मरीजों में साल भर बाद भी कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं। कोरोना के कारण शरीर के कई अंग और उनके काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। अब मेडिकल एक्सपर्ट (medical expert) की मानें, तो कोरोना से रिकवर होने के बाद मरीजों का वजन कम होने लगा है। कोरोना से गंभीर रूप से प्रभावित लोगों में यह समस्या ज्यादा आ रही है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक हालांकि इस बात पर अभी तक कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं आया है, लेकिन कुछ अध्यनों में यह बात प्रमाणित हुई है कि जिन कोरोना मरीजों (corona patients) को गंभीर स्थिति हो जाने के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था या उनका स्वाद चला गया था या सांस से संबंधित गंभीर समस्याएं हो गई थी, उन मरीजों में वजन कम हो रहा है। साथ ही ऐसे मरीजों में कुपोषण की परेशानी भी हो रही है।
ब्लैक फंगस के शिकार लोगों में ज्यादा खतरा
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंर्फोरमेशन (National Center for Biotechnology Information -NCBI) के अध्यन के मुताबिक कोरोना में गंभीर रूप से बीमार पड़े लोगों में वजन कम और कुपोषण का जोखिम बहुत ज्यादा रहता है। करीब 30 प्रतिशत मरीजों में बॉडी का वेट 5 प्रतिशत तक कम हुआ है। कोरोना के कारण गंभीर रूप से पीड़ित करीब आधे मरीजों पर कुपोषण का खतरा मंडरा रहा है।
स्वाद और गंध में बदलाव के कारण भूख में कमी
अध्यन में पाया गया कि स्वाद और गंध में बदलाव के कारण मरीज में थकान बहुत ज्यादा होने लगी और भूख की कमी हो गई। इसके अलावा घर पर आने के बाद फिजिकल गतिविधियां भी पूरी तरह बंद हो गई। इससे वजन में कमी आना स्वभाविक है। इसके साथ ही शरीर के अंदर सूजन की समस्या ने कुपोषण के जोखिम को भी बढ़ा दिया। यहां तक कि जिन कोरोना मरीजों को अस्पताल नहीं जाना पड़ा, उनमें से भी कुछ मरीजों में कुपोषण जैसी समस्याएं देखी गई।
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