नई दिल्ली। ब्रिटेन में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस (Coronavirus) का नया वेरिएंट (Delta Plus- AY.4.2) भारत में पाया गया है। कोरोना के नए वेरिएंट Delta Plus- AY.4.2 ने ब्रिटेन और यूरोप के देशों में काफी तबाही मचाई है। भारत में इस स्ट्रेन के पाए जाने पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की एडवायजर डॉ.सुनीला गर्ग (Suneela Garg) ने बताया है कि भारत में इस वेरिएंट की मौजूदगी 4 महीने से है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा (Durga Puja) के चलते मामले बढ़े हैं। गर्ग ने कहा कि कोरोना के इस वेरिएंट (Coronavirus Variant) की जांच की जा रही है। ये वेरिएंट महाराष्ट्र (Maharashtra) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भी मिला है।
उन्होंने कहा कि देश में कोरोना वायरस टीकाकरण (vaccination) का आंकड़ा भले ही 100 करोड़ को पार कर गया है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम निश्चिंत हो जाएं। सभी लोगों को सार्वजनिक जीवन में कोविड व्यवहार का पालन करना चाहिए। आईसीएमआर की सलाहकार ने बताया कि कोरोना वायरस का AY 4.2 और AY.4 दोनों ही डेल्टा स्ट्रेन की फैमिली के हैं और उसी से निकले सब लीनिएज हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में भी लक्षण अलग नहीं होते हैं, समान होते हैं। ये स्ट्रेन ज्यादा संक्रामक है। लेकिन, अभी तक साबित नहीं हुआ है कि इससे ज्यादा मौत होती है। इस पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
गर्ग ने कहा कि ये नैचुरल है कि वायरस म्यूटेट होते हैं। लेकिन एक चीज देखने को मिली है कि लोग त्योहारों में लापरवाही बरतते हैं, जिस पर सावधानी बरतने की जरूरत है। भारत (vaccination) टीकाकरण के सवाल पर गर्ग ने कहा कि कुछ देशों में वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जाने लगा है, लेकिन भारत में अभी दिसंबर के अंत तक 94 करोड़ एडल्ट पॉपुलेशन को दोनों खुराक देना जरूरी है। इसके बाद बूस्टर डोज पर विचार किया जाएगा।
भारत में AY.4.2 संक्रमण की संख्या बेहद कम
इस बारे में पूछे जाने पर दिल्ली में CSIR इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के निदेशक डॉ। अनुराग अग्रवाल ने TOI को बताया, ‘AY.4.2 संशोधित परिभाषा के आधार पर भारत में मौजूद है, लेकिन बहुत कम संख्या में, 0.1 फीसदी से भी कम।’ डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आगे के विवरण और भारत में AY.4.2 की सही संख्या जल्द ही उपलब्ध होगी। AY.4.2 डेल्टा संस्करण का वंशज है, जिसे अब तक लाखों लोगों को प्रभावित करने वाला सबसे खतरनाक रूप माना जाता रहा है।
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