इन्दौर। मुझे दुश्मन से भी खुद्दारी की उम्मीद रहती है, किसी का भी हो सर, कदमों में अच्छा नहीं लगता, कल हो न हो, वेक अप सिड, वीर-जारा और लगान जैसी फिल्मों के गाने लिखने वाले गीतकार और शायर जावेद अख्तर न सिर्फ व्यावसायिक सिनेमा की एक जानी-मानी हस्ती हैं, बल्कि उर्दू अदब का भी एक मकबूल नाम हैं। यूं तो जावेद का नाम ही अपने आप में उनकी मुकम्मल पहचान है, लेकिन वह जिस परिवार से आते हैं, वह स्वयं में एक इतिहास रखते हैं। जावेद को बंबई आकर संघर्ष से सामना करना पड़ा था। उन्हें बंबई आने के छह दिन बाद ही अपने पिता का घर छोडऩा पड़ा था और दो साल तक किसी ठिकाने के लिए परेशान होते रहे। इस बीच उन्होंने 100 रुपए महीने पर डॉयलॉग लिखे और एकाध छोटे-मोटे काम भी किए। चने खरीदकर जेब भरी और पैदल सफर किया और कई रातें सडक़ों पर गुज़ारी थीं।
क्लैपर ब्वॉय थे
जावेद साहब का असली नाम जादू है। ये नाम उनके पिता ने जावेद की ही लिखी हुई एक लाइन को पढक़र दिया था। लाइन थी- लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा। स्कूल में उनके दोस्त उनसे लव लेटर लिखवाया करते थे। सलीम खान और जावेद अख्तर की मुलाकात सरहदी लुटेरा के सेट पर हुई थी। इस फिल्म में सलीम खान हीरो थे और जावेद क्लैपर ब्वॉय।
जोड़ी ने दी हिट फिल्में
24 फिल्में साथ लिखी हैं, जिनमें से 20 सुपरहिट रहीं। उस दौर में स्क्रिप्ट राइटर का नाम पर्दे पर नहीं आता था, लेकिन सलीम-जावेद की फिल्मों ने यह करिश्मा भी कर दिखाया। फिल्म मिस्टर इंडिया के बाद सलीम-जावेद की जोड़ी टूट गई। बतौर गीतकार उनकी पहली फिल्म रही सिलसिला। जावेद साहब अपना बर्थडे अपनी पहली पत्नी हनी ईरानी के साथ शेयर करते हैं।
हनी के बाद शबाना आजमी पर आया दिल
17 साल छोटी हनी ईरानी से शादी के बाद जावेद के दिल के तार एक और हसीना ने छेड़ दिए। वह हसीना कोई और नहीं, बल्कि गुजरे जमाने की मशहूर अदाकारा शबाना आजमी थीं। जावेद का दिल शबाना पर तब आया, जब वह इंडस्ट्री की मशहूर अभिनेत्री बन चुकी थीं। शबाना संग जावेद की पहली मुलाकात उनके घर पर ही हुई थी। पहली ही मुलाकात में जावेद शबाना को दिल दे बैठे थे। पद्मश्री और पद्मभूषण जावेद साहब सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए 5 नेशनल और 14 फिल्म फेयर अवॉड्र्स भी अपने नाम कर चुके हैं।
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