उज्जैन। सिंहस्थ के बाद से लगातार उपेक्षा और अनदेखी के शिकार हो रहे शहर के मध्य स्थित क्षीरसागर तालाब के पानी को शुद्ध तथा पारदर्शी बनाने के लिए दो दिन पहले नगर निगम ने बायो एन्जाईम केमिकल का छिड़काव करवाया था। इसके बाद अब यहाँ कुंड के चारों ओर दीवारों की रंगाई-पुताई और पेंटिंग की जा रही है। इधर स्वच्छता सर्वेक्षण की जाँच के लिए दिल्ली की अलग-अलग टीमें इस महीने के अंत तक शहर आएँगी। उल्लेखनीय है कि सिंहस्थ 2016 के पहले नगर निगम ने क्षीरसागर तालाब में घाटों का निर्माण, पूरे कुंड की सफाई और इसमें 4 रंगीन फव्वारे लगवाए थे तब दावा किया गया था कि फव्वारों के चलते क्षीरसागर तालाब का ठहरा हुआ पानी ऑक्सीकृत होता रहेगा और इससे पानी में ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी और दुर्गंध भी नहीं आएगी तथा मछलियाँ भी नहीं मरेंगी लेकिन सिंहस्थ गुजरने के बाद एक-एक कर यहाँ लगे सभी फव्वारे बंद हो गए।
हर साल गर्मी से पहले ही कुंड की हजारों मछलियाँ ऑक्सीजन की कमी के चलते मरने लगी। इसके बाद दो दिन पहले नगर निगम ने यहाँ बायो एन्जाईम केमिकल का छिड़काव कराया था। दावा किया गया है कि एक महीने के अंतराल में क्षीरसागर का पानी साफ एवं पारदर्शी हो जाएगा। इधर स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम इस महीने के अंत तक 4 अलग-अलग टीमें शहर आएँगी। इसे देखते हुए भी नगर निगम ने क्षीरसागर कुंड के चारों ओर दीवारों पर रंगाई-पुताई करने और पेंटिंग बनाने का काम शुरु करवा दिया है। कुंड के आसपास के घाटों की सफाई भी कराई जा रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण के पैमानों की जाँच के लिए यह टीम अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर निरीक्षण करेगी और उसी के हिसाब से आगामी सर्वेक्षण में उज्जैन की स्वच्छता रेटिंग तय होगी। यही कारण है कि पूरे शहर में सार्वजनिक सुविधाघरों और मुख्य चौराहों पर नगर निगम द्वारा रंगाई-पुताई कराई जा रही है।
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