नई दिल्ली। भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष(Krishna Paksha) की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि द्वापर युग में बढ़ रहे कंस के अत्याचारों(atrocities) को खत्म करने और धर्म की स्थापना के लिए उनका जन्म हुआ था। श्री कृष्ण के बचपन की कई लीलाएं प्रचलित हैं। द्वापर युग में श्रीकृष्ण(Sri Krishna) ने मध्य रात्रि में जन्म लिया था, उनके जन्म लेते ही सभी जगह प्रकाश हो गया था। वहीं जब वासुदेव कंस से बचाने के लिए कृष्ण को गोकुल लेकर जा रहे थे तो अचानक से तेज बारिश होने लगी। यमुना के जल में लहरें उठने लगीं। पानी का स्तर अचानक से बढ़ने लगा, लेकिन कृष्ण के चरण स्पर्श करते ही यमुना का जलस्तर कम हो गया। वहीं शेषनाग(Sheshnag) ने कृष्ण पर छाया की। कृष्ण ने लोगों को कंस के अत्याचार(Atrocity) से मुक्त करवाया। भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कहानी बड़ी ही रोचक है। आइए जानते हैं क्या है कृष्ण जी के जन्म की पूरी कथा…
मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा में राजा उग्रसेन का राज था। कंस उनका पुत्र था, लेकिन राज्य के लालच में अपने पिता को सिंहासन से उतारकर वह स्वयं राजा बन गया और अपने पिता को कारागार में डाल दिया। कहा जाता है कि कृष्ण को जन्म देने वाली देवकी कंस की चचेरी बहन थीं। देवकी का विवाह वासुदेव के साथ हुआ।
आकाशवाणी सुनते ही कंस अपनी बहन को मारने जा रहा था तभी वासुदेव ने उसे समझाते हुए कहा कि तुम्हें अपनी बहन देवकी से कोई भय नहीं है। देवकी की आठवीं संतान से भय है। इसलिए वे अपनी आठवीं संतान को कंस को सौंप देंगे। कंस ने वासुदेव की बात मान ली, लेकिन उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में कैद डाल दिया।
भगवान विष्णु ने लिया था कृष्ण के रूप में जन्म
जब भी देवकी की कोई संतान होती तो कंस उसे मार देता इस तरह से कंस ने एक-एक करके देवकी की सभी संतानों को मार दिया। इसके बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में जन्म लिया। श्री कृष्ण के जन्म लेते ही कारागार में एक तेज प्रकाश छा गया। कारागार के सभी दरवाजे स्वतः ही खुल गए, सभी सैनिको को गहरी नींद आ गई। वासुदेव और देवकी के सामने भगवान विष्णु प्रकट हुए और कहा कि उन्होंने ही कृष्ण रूप में जन्म लिया है।
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