नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के कुलगाम इलाके से लापता हुए भारतीय सेना के जवान जावेद अहमद वानी का अब तक कुछ पता नहीं चल सका है. सेना उनकी तलाश में सर्च ऑपरेशन चला रही है और उनके परिवार वाले सुरक्षित उन्हें वापस घर भेज देने की अपील कर रहे हैं. इस बीच एक सवाल यक्ष प्रश्न बनकर एक बार फिर से सामने खड़ा हो गया है कि आखिर साउथ कश्मीर के इलाके से सैनिक बार-बार क्यों गायब हो जाते हैं.
2017 के बाद से पिछले 5 सालों में भारतीय सेना के 5 जवान साउथ कश्मीर के अलग-अलग इलाकों से गायब हुए हैं. इनमें लेफ्टिनेंट रैंक के युवा अधिकारी से लेकर अदर रैंक्स के जवान शामिल हैं. इन सभी के साथ एक बात एक जैसी है. ये सभी सैनिक छुट्टी लेकर घर गए थे.
2017 में गायब हुए लेफ्टिनेंट उमर फैयाज
भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट उमर फैयाज भी छुट्टी लेकर साउथ कश्मीर में अपने घर गए थे. इसी इलाके के बातपुरा में उनके मामा की बेटी की शादी थी, जिसमें शामिल होने के लिए वो निकले थे. इसी दौरान रात के अंधेरे में आतंकवादियों ने उन्हें अगवा कर लिया. राजपुताना राइफल के लेफ्टिनेंट उमर फैयाज फिर जिंदा घर नहीं लौटे. कुछ देर बाद सुबह-सुबह 6 बजे हरमन चौक से उनका शव बरामद किया गया.
उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उन्हें मारने से पहले यातनाएं दी गई थीं और छुट्टी पर गए सैनिक के साथ ये कायराना हरकत हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों ने की थी. उमर फैयाज की मौत के एक साल बाद ही बम विस्फोट में उन दो आतंकियों की मौत हो गई, जिन्होंने फैयाज को अगवा कर मारा था.
अगवा कर औरंगजेब को मारी 15 गोलियां
4 जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री के जवान औरंगजेब को भी छुट्टी पर जाते वक्त साउथ कश्मीर में आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था. पूंछ के रहने वाले औरंगजेब 44 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ घाटी में तैनात थे. 2018 में वो शादीमार्ग पर अपने कैंप से निकलकर शोपियां जा रहे थे, जहां से उन्हें मुगल रोड होते हुए अपने घर जाना था. यहीं रास्ते में काल्मपोरा गांव में उन्हें आतंकवादियों ने अगवा कर लिया. अगले दिन पुलवामा के गुस्सू में औरंगजेब का शव बरामद हुआ.
आतंकी समीर टाइगर के एनकाउंटर को अंजाम देने वाले भारतीय सेना के जवान औरंगजेब के शरीर पर 15 गोलियां मारी गई थीं. उनको मारने से पहले आतंकियों ने टॉर्चर किया था. औरंगजेब की हत्या के बाद अगले साल सेना के अलग-अलग एनकाउंटर में उनकी हत्या करने वाले आतंकियों को मार गिराया. वहीं जुलाई 2019 में भारतीय सेना के इस जांबाज सैनिक औरंगजेब के दो और भाई मोहम्मद शाबिर और मोहम्मद तारिक ने भी भारतीय सेना जॉइन कर ली.
अगवा होने के एक साल बाद मिली शाकिर की लाश
प्रादेशिक सेना की 162 बटालियन के साथ तैनात शाकिर मंसूर साल 2020 में ईद मनाने के लिए अपने घर शोपियां गया था. वो घर से कहीं अपनी कार से जा रहा था, तभी रास्ते में आतंकियों ने उसे अगवा कर लिया. अगले दिन पुलिस को उसकी कार जली हुई मिली. इस घटना के एक साल बाद साउथ कश्मीर के कुलगाम के ही मोहम्मदपोरा इलाके से शाकिर का शव क्षत विक्षत हालत में बरामद किया गया. शव इस तरह से विक्षत किया गया था कि उसकी खोपड़ी दिखाई देने लगी थी.
बीवी कि डिलिवरी के लिए छुट्टी पर गए थे समीर
जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री के समीर अहमद मल्ला जम्मू में तैनात थे. उनकी पत्नी दूसरे बच्चे को जन्म देने वाली थीं, जिसके लिए मार्च 2022 में छुट्टी लेकर वो अपने घर गए थे. लेकिन यहां लोकपोरा स्थित अपने गांव से वो अचानक गायब हो गए. गुमशुदगी के तीन दिन बाद उनकी लाश बडगाम जिले से बरामद होती है. उनके शव पर गोली का कोई निशान तो नहीं था, लेकिन बताया जाता है कि उन्हे रॉड से मारा गया था और मारने के बाद दफन कर दिया.
ईद मनाने के लिए घर गए जावेद, अब तक लापता
अब जावेद वानी इस लिस्ट में पांचवां नाम हैं. वो ईद की छुट्टी मनाने के लिए अपने घर कुलगाम गए थे. यहां किसी काम से अपने घर से वो निकले तो अब तक वापस नहीं लौटे हैं. उनकी कार बरामद कर ली गई है, जिसपर खून लगा हुआ है. सेना अभी भी सर्च ऑपरेशन चला रही है. उनके परिवार ने मार्मिक अपील करते हुए कहा है कि वो घर के इकलौते हैं और उन्हें सुरक्षित वापस लौटा दें.
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