नई दिल्ली: लगातार 37 दिनों तक पंजाब पुलिस (Punjab police) को चकमा देने के बाद आखिरकार खालिस्तानी अलगाववादी और कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने मोगा के एक गुरुद्वारे में सरेंडर कर दिया. अब उसे असम के डिब्रूगढ़ में सेंट्रल जेल (Dibrugarh Central jail) में भेजा गया है. पंजाब पुलिस ने 18 मार्च को अमृतपाल सिंह और उनके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ (Waris Punjab De) के सदस्यों के खिलाफ बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी की कार्रवाई शुरू की थी. यह कार्रवाई फरवरी में अजनाला पुलिस स्टेशन पर ‘वारिस पंजाब दे’ के समर्थकों के अपने संगठन के एक सदस्य की रिहाई की मांग को लेकर किए गए हमले के जवाब में की गई थी.
इस दौरान अमृतपाल सिंह दो मौकों पर पुलिस को धोखा देकर फरार होने में कामयाब रहा था. 18 मार्च को जालंधर में गाड़ियों को बदलकर अमृतपाल सिंह गिरफ्तार होने से बचने में कामयाब रहा. इसके बाद फिर 28 मार्च को होशियारपुर में वह अपने प्रमुख सहयोगी पप्पलप्रीत सिंह के साथ पंजाब लौटा, तो पुलिस को एक बार फिर चकमा देने में सफल रहा. जबकि अमृतपाल सिंह के संरक्षक माने जाने वाले और कथित तौर पर पाकिस्तान की ISI के संपर्क में रहने वाले पप्पलप्रीत को गिरफ्तार कर लिया गया. इस दौरान अलगाववादी अमृतपाल और उसके सहयोगियों पर कई आपराधिक आरोपों को लगाया गया है. जिसमें हत्या की कोशिश और पुलिस कर्मियों पर हमला करने का आरोप भी शामिल है.
लगातार चकमा देता रहा अमृतपाल
फरारी के दौरान पटियाला, कुरुक्षेत्र और दिल्ली सहित कई जगहों पर कई सीसीटीवी फुटेज में अमृतपाल सिंह को बदले हुए रूप के साथ देखा गया था. इसके बावजूद अमृतपाल सिंह पुलिस के जाल से बाहर रहने में लगातार कामयाब रहा. अमृतपाल सिंह को सरकार लगातार खालिस्तानी-पाकिस्तान एजेंट बताती रही है. इसी फरारी के दौरान अमृतपाल के दो वीडियो और एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर सामने आए. 30 मार्च को सामने आए अपने दो वीडियो में से एक में अमृतपाल सिंह ने जोर देकर कहा कि वह भगोड़ा नहीं है और जल्द ही पुलिस के सामने पेश होगा. अमृतपाल ने दावा किया था कि वह उन लोगों की तरह नहीं है, जो देश छोड़कर भाग जाते हैं.
बैसाखी पर सरेंडर की अटकलें
14 अप्रैल को मनाई जाने वाली बैसाखी से पहले ऐसी अफवाहें थीं कि उत्सव के दौरान अमृतपाल सिंह बठिंडा में तख्त दमदमा साहिब गुरुद्वारे में आत्मसमर्पण कर सकता है. लेकिन वैसा नहीं हुआ. बैसाखी उत्सव के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को गुस्सा भी आया. उन्होंने पंजाब सरकार पर आतंक पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. जबकि पुलिस ने दावा किया कि श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी का बंदोबस्त किया गया था. अकाल तख्त के जत्थेदार ने भगोड़े अमृतपाल को पुलिस के साथ सहयोग करने और सरेंडर करने के लिए कहा. मगर उनकी अपील का कुछ खास असर नहीं पड़ा.
अहम मोड़ बनी अमृतपाल के करीबी जोगा सिंह की गिरफ्तारी
इसके बाद भगोड़े अमृतपाल की तलाश के दायरे को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया गया. पुलिस ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में उसके संभावित ठिकानों की तलाशी ली. कई रेलवे स्टेशनों पर उसके वांछित होने के पोस्टर लगाए गए थे. जिसमें घोषणा की गई थी कि अमृतपाल सिंह के ठिकाने के बारे में भरोसेमंद जानकारी देने वाले को उचित इनाम दिया जाएगा. पुलिस ने 15 अप्रैल को अमृतपाल के करीबी जोगा सिंह को फतेहगढ़ साहिब के सरहिंद से गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की थी. पुलिस के मुताबिक जोगा सिंह अमृतपाल के सीधे संपर्क में था. उसने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में उसके लिए छिपने के ठिकाने और गाड़ियों की व्यवस्था भी की थी. जोगा सिंह ही अमृतपाल और उसके सहयोगी पप्पलप्रीत को 28 मार्च को पंजाब वापस लेकर आया था.
अमृतपाल के 8 सहयोगी पहले ही डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में
पुलिस ने अब तक अमृतपाल के आठ सहयोगियों दलजीत सिंह कलसी, पप्पलप्रीत सिंह, कुलवंत सिंह धालीवाल, वरिंदर सिंह जौहल, गुरमीत सिंह बुक्कनवाला, हरजीत सिंह, भगवंत सिंह और गुरिंदरपाल सिंह औजला को गिरफ्तार करने उन पर रासुका लगाया गया है. इन सभी को डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में रखा गया है. 37 दिन तक फरार रहने के बाद अमृतपाल सिंह ने आखिरकार पंजाब के मोगा में एक गुरुद्वारे में लोगों को संबोधित करने के बाद सरेंडर कर दिया. बहरहाल पंजाब पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने और फर्जी खबरें नहीं फैलाने को कहा है.
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