नई दिल्ली: हमास इजराइल जंग ने अमेरिका को हर तरफ से तंग कर रखा है. अमेरिका की इजराइल समर्थित पॉलिसी का पूरी दुनिया समेत उसके ही देश में विरोध होना शुरू हो गया है. UN और मानव अधिकार संगठनों ने जैसे ही बाइडेन प्रशासन पर जंग रुकवाने का दबाव बनाया तो देश में मौजूद जायनिस्ट ग्रुप बाइडेन पर भड़क गए. अमेरिका में इस साल चुनाव होने हैं, जो बाइडेन के प्रतिद्वंदी डोनाल्ड ट्रंप पहले ही बाइडेन को एक कमजोर नेतृत्व वाला नेता बताते आए हैं. अब एक और देश के सामने अमेरिका झुकता नजर आ रहा है. खबर है कि अमेरिका इराक में लंबे समय से मौजूद अपनी सेना को वापस बुलाने पर विचार कर रहा है.
खबरों के मुताबिक, वाशिंगटन और बगदाद के बीच सेना वापसी को लेकर समझौते की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. अमेरिका की इस वापसी की वजह इराक में मौजूद इस्लामिक रेजिस्टेंस के हमले बताए जा रहे हैं. दराअसल गाजा जंग शुरू होने के बाद लेबनान, सीरिया, यमन और इराक में मौजूद इस्लामिक रेजिस्टेंस गुटों ने ऐलान किया था कि वे इजराइल और उसके मित्रों पर तब तक हमले करेंगे जब तक गाजा जंग रुक नहीं जाती.
“हमारे हमलों ने US को मजबूर किया?”
इराक के अल-नुजाबा रेजिस्टेंस प्रवक्ता हुसैन अल-मौसावी ने गुरुवार को एक लेबनानी अखबार को इंटरव्यू देते हुए कहा, “हमने अपने हमलों से अमेरिका को बातचीत की मेज पर वापस आने के लिए मजबूर कर दिया है.” हुसैन ने कहा कि हमारे द्वारा किए गए अमेरिकी ठिकानों पर हमलों के बाद अमेरिका सालों बाद देश छोड़ने के लिए बातचीत करने पर मजबूर हुआ है. उन्होंने ये भी कहा कि अभी अमेरिकियों के साथ सरकार की बातचीत से स्पष्ट नतीजे नहीं मिले हैं, लेकिन हमारे लिए इराकी लोगों का हित सबसे पहले है, उसके लिए हम काम कर रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने गाजा हमले के विरोध में अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया.
21 सालों से इराक में US आर्मी
2003 में अमेरिकी सेना ने इराक पर न्यूक्लियर वेपन्स होने का आरोप लगाते हुए आक्रमण कर दिया था. जिसके बाद वहां के नेता सद्दाम हुसेन को गिरफ्तार कर 2006 में फांसी पर चढ़ा दिया गया. वाटसन इंस्टिट्यूट के मुताबिक इराक इंवेजन के बाद से इराक में करीब 3 लाख से उपर लोगों की जाने चुकी हैं और तब से आज तक इराक में शांति नहीं आ पाई है. अमेरिकी सेना इराक में अभी भी बड़ी तादाद में मौजूद है. हाल ही में इराकी सरकार ने बताया कि वह अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेना की वापसी को लेकर एक फ्रेमवर्क बनाने के लिए वाशिंगटन से बातचीत कर रहे है. अगर अमेरिकी सेना की इस साल इराक से भी वापसी हो जाती है तो इसका अमेरिका चुनाव में बड़ा असर देखने मिल सकता है.
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