भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हाई कोर्ट की रोक के बाद पिछले छह सालों के दौरान 70 हजार सरकारी कर्मचारी बिना पदोन्नति(employee without promotion) के ही रिटायर हो गए. वहीं प्रदेश में सवा तीन लाख से अधिक कर्मचारियों को पदोन्नति का इंतजार है.पदोन्नति व्यवस्था को लेकर मंगलवार को पांच मंत्रियों (five ministers) की बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra). जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया (Cooperation Minister Arvind Bhadauria), सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार शामिल हुए. लेकिन विडंबना यह रही कि सवा तीन लाख कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए बुलाई गई यह बैठक पांच मिनट में ही खत्म हो गई. पांच मिनट में इन पांचों मंत्रियों बैठक समाप्त हो गई.
मध्य प्रदेश में आरक्षण
प्रदेश में छह साल से पदोन्नतियों पर लगी रोक को हटाने सरकार ने पदोन्नति नियम 2022 तैयार कर लिया है. इसे लेकर ही मंगलवार को बैठक आयोजित की गई थी. बैठक के दौरान प्रस्तावित पदोन्नति नियम का ड्राफट सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सपाक्स) व अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) को सौंप दिए गए. इस पर उन्हें दो दिन में सुझाव देना है. प्रस्ताव परीक्षण के लिए वरिष्ठ सचिवों की समिति के पास भेजा जाएगा. इसके बाद कैबिनेट (Cabinet) की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा. पदोन्नति प्रस्ताव में आरक्षित वर्ग एसटी से 20 फीसदी और एससी से 16 फीसदी कुल पदों का 36 प्रतिशत आरक्षित कर बाकि पदों को अनारक्षित से भरना तय किया गया है.
बिना लाभ के 70 हजार कर्मी रिटायर
मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 से पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा रखी है. इन छह साल के दौरान प्रदेश में 70 हजार से अधिक कर्मचारी पदोन्नति का लाभ बगैर ही रिटायर हो गए हैं. जबकि प्रदेश के सवा तीन लाख से अधिक कर्मचारियों को पदोन्नति का इंतजार है. हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) गई है. उसकी याचिका पर फैसला आना है. वहीं अफसरों का कहना है कि पदोन्नति नियम तैयार होने के बाद भी कोर्ट का जो फैसला होगा वह मान्य होगा.
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