उज्जैन। लंबे इंतजार के बाद अब फिर से आगर झालावाड़ मार्ग पर रेल यातायात शुरु होने की उम्मीद जगी है तथा इससे न केवल देहात का व्यापार बढ़ेगा बल्कि आगर तथा अन्य क्षेत्रों के ग्रामीण हिस्से भी इससे जुड़ेंगे। पहले यह ट्रेन शहर के बीच से गुजरती थी और आगर रोड के किनारे पटरियाँ बनी हुई थी।
आजादी के पहले उज्जैन से आगर तक की रेलवे लाइन 1932 में अंग्रेजों ने डाली थी। छोटी लाइन की यह ट्रेन आगर से लेकर उज्जैन तक के गाँव वालों की यात्रा का प्रमुख साधन था, क्योंकि उस समय उज्जैन से आगर जाने वाली सड़क भी इतनी विकसित नहीं थी और बस आदि संसाधन भी इतनी मात्रा में नहीं चलते थे। यह ट्रेन 1975 तक चली और इस ट्रेन के लिए बाकायदा मकोडिय़ा आम, घटिया, ढाबलाहर्दू, तनोडिय़ा में स्टेशन भी थे। इन स्टेशन के अवशेष अभी भी देखे जा सकते हैं। घटिया तहसील में स्टेशन का टिकट घर और यात्रियों के लिए इंतजार का कक्ष अभी भी बना हुआ है, वहीं अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए उस समय के नदी और नाले पार करने वाले पुल भी अभी तक दिखाई देते हैं। कहीं-कहीं पर रेलवे ट्रैक के लिए जो जमीन पर ऊंचाई बनाई जाती है वह भी अगर रोड पर जगह-जगह दिखाई देती है। 1975 के बाद बीते 50 साल में रेलवे लाइन फिर से डालने के प्रयास निवृत्त सांसदों ने किए लेकिन अधिकांश समय सत्ता कांग्रेस की रही और सांसद भारतीय जनता पार्टी के रहे, इसलिए यह रेलवे लाइन नहीं डल पाई। 2014 से केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार केंद्र में बनी और पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय ने भी काफी प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। वर्तमान सांसद अनिल फिरोजिया एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विगत कई दिनों से इस रेलवे लाइन को डलवाने के प्रयास कर रहे थे। आखिरकार इन दोनों नेताओं को सफलता मिली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मांग को स्वीकृत करते हुए उज्जैन से झालावाड़ लाइन डालने के लिए डीपीआर बनाने के 4 करोड़ 75 लाख रुपए स्वीकृत कर दिए। जल्द ही डीपीआर बनाने का काम शुरू होगा और इससे दिल्ली जाने का एक और मार्ग उज्जैन से सीधा खुल जाएगा। अभी तक उज्जैन से किसी भी व्यक्ति को कोटा एवं दिल्ली जयपुर जाना हो तो नागदा जाना पड़ता था। झालावाड़ से उज्जैन जुडऩे से आगर रोड के गाँव वालों को तो सस्ते यातायात की सुविधा मिलेगी, साथ ही राजस्थान एवं शिवपुरी, ग्वालियर आदि स्थान पर जाने के लिए एक नया रेलवे मार्ग शुरू हो जाएगा।
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