नई दिल्ली. वैशाख शुक्ल की अक्षय तृतीया इस बार मंगलवार, 3 मई को मनाई जाएगी. ज्योतिषीय गणना (astrological calculations) के अनुसार, अक्षय तृतीय इस बार मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में मनाई जाएगी. शुभ योग में अक्षय तृतीया मनाने का ये संयोग 30 साल बाद बना है. इतना ही नहीं, 50 साल बाद ग्रहों की विशेष स्थिति भी बन रही है.
ज्योतिषियों का कहना है कि वैशाख शुक्ल(Vaishakh Shukla) तृतीया पर करीब 50 साल बाद दो ग्रह उच्च राशि में विद्यमान रहेंगे, जबकि दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में विराजमान होंगे. शुभ संयोग और ग्रहों की विशेष स्थिति में अक्षय तृतीया पर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होगी. इस दिन जल से भरे कलश पर फल रखकर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन अबूझ मुहूर्त में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं.
अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र(Rohini Nakshatra,), शोभन योग, तैतिल करण और वृषभ राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है. इस दिन मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र होने से मंगल रोहिणी योग का निर्माण होने जा रहा है. शोभन योग इसे ज्यादा खास बना रहा है. साथ ही पांच दशक बाद ग्रहों का विशेष योग भी बन रहा है.
अक्षय तृतीय पर जरूर करें ये उपाय
अक्षय तृतीय को कई जगहों पर आखा तीज भी कहा जाता है. आखा तीज पर दो कलश का दान महत्वपूर्ण होता है. इसमें एक कलश पितरों का और दूसरा कलश भगवान विष्णु का माना गया है. पितरों वाले कलश को जल से भरकर काले तिल, चंदन और सफेद फूल डालें. वहीं, भगवान विष्णु वाले कलश में जल भरकर सफेद जौ पीला फूल, चंदन और पंचामृत डालकर उस पर फल रखें. इससे पितृ और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है.
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