नई दिल्ली। वैज्ञानिकों (scientists) ने हिमालय (Himalayas) पर 39 हजार साल पहले हुई बड़ी हलचल (Big movement happened 39 thousand years ago) का राज खोला है। ग्लेशियर झील फटने और भारी बारिश (Glacier lake burst and heavy rain) के बाद 103 क्यूबिक मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से आई बाढ़ ने तब भयंकर तबाही मचाई थी। केदारनाथ में झील फटने से आई आपदा उस घटना से मिलती-जुलती थी।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने 39 हजार वर्ष पहले उत्तर-पश्चिम हिमालय के लद्दाख क्षेत्र में और 15 हजार साल पहले ग्लेशियर झील फटने तथा तेज बारिश की वजह से आई बाढ़ की दो भीषणतम घटनाओं का पता लगाया। वैज्ञानिकों ने गर्म और नम जलवायु के नमूने लिए। लद्दाख हिमालय के ऊपरी जांस्कार क्षेत्र में झील फटने, बाढ़ की घटनाओं के प्रमाण के लिए लुमिनिसेंट डेटिंग तकनीक प्रयोग की गई। लद्दाख से निकलने वाली जांस्कार नदी सिंधु की दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी है।
वैज्ञानिक डॉ. पूनम चहल, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. पंकज सी. शर्मा, प्रो. वाईपी सुंद्रियाल और डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव के दल ने यह शोध किया है। इसके लिए वैज्ञानिकों को पेलियोन्टोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने प्रो.एसके सिंह मेमोरियल गोल्ड मेडल अवॉर्ड से नवाजा है।
जोरदार बारिश से फटी उच्च हिमालय की झील
वैज्ञनिक डॉक्टर अनिल कुमार के मुताबिक, पहली बड़ी घटना करीब 39 हजार साल पहले हुई। इसमें मलबे की रफ्तार 103 क्यूबिक मीटर प्रति सेकेंड की थी। दूसरी घटना 15 हजार वर्ष पहले की है जिसमें ग्लेशियर लेक आउट बस्ट फ्लड (जीएलओएफ) की रफ्तार इतनी तेज थी कि यह तीन मीटर ब्यास के बड़े बोल्डर को भी बहा ले जाने में सक्षम थी। दोनों घटनाओं के दौरान ग्लेशियर झील फटने, वातावरण में बहुत अधिक नमी के साक्ष्य भी मिले हैं। यानी इस घटना के समय इस इलाके में जोरदार बारिश रही होगी।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि भविष्य में हिमालय क्षेत्र में भीषण आपदाएं संभव हैं। हिमालय के निचले क्षेत्र में आबादी काफी घनी हो चुकी है। यदि दोबारा ऐसी आपदा आई तो जनहानि काफी अधिक होगी।
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