नई दिल्ली: श्रीनगर में 33 साल बाद एक स्कूल फिर से खुला है जिससे छात्रों के चेहरों पर रौनक आई है. 1990 के दशक में घाटी में उग्रवाद की वजह से आर्य समाज के इस स्कूल को बंद कर दिया गया था. तीन दशकों बाद शुरू हुआ यह ऐतिहासिक स्कूल डाउनटाउन में महाराज गंज में मौजूद है. इलाके के कई बच्चे और शिक्षक इस स्कूल के फिर से खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. उग्रवाद की वजह से बंद हुए इस स्कूल में 1992 में एक स्थानीय व्यक्ति ने कब्जा कर प्राइवेट स्कूल खोला था.
प्राइवेट स्कूल का नाम नक्शबंदी पब्लिक स्कूल रखा गया था. निजी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों के लगातार किए जा रहे विरोध की वजह से स्थानीय अधिकारियों ने संपत्ति का अधिकार फिर से ट्रस्ट को सौंप दिया. हालांकि जब तक इस ट्रस्ट को वापस कब्जा मिला तब तक यह इमारत पूरी तरह से जर्जर इमारत में तब्दील हो चुकी है.
फिलहाल इस स्कूल को एक नई इमारत में खोला गया है. जब स्कूल के शिक्षकों ने आस-पास के अभिभावकों से बच्चों के एडमिशन कराने के लिए संपर्क किया तो पहले तो वह झिझक रहे थे लेकिन बाद में वह मान गए. अब यह स्कूल फिर से शुरू हुआ है हालांकि छात्रों की संख्या अभी बहुत कम है. स्कूल के एक टीचर ने बताया कि 1990 से पहले इस स्कूल में सैकड़ों बच्चे पढ़ने के लिए आते थे. उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही वैसी स्थिति फिर से आएगी.
बता दें कि उग्रवादियों ने 1990 के दशक में आर्य समाज के इस स्कूल में पढ़ा रहे पंडित टीचर्स को धमकी दी थी. जिसके बाद एक-एक करके कई टीचर्स पलायन कर गए थे. इसी वजह से ट्रस्ट इस स्कूल को बंद करने के लिए मजबूर हो गया था. हालांकि अब फिर से यह स्कूल खोला गया है और क्षेत्र के कई बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का प्रयास फिर से शुरू किया गया है.
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