भोपाल (Bhopal) । अगामी लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दो पूर्व मुख्यमंत्री (former chief minister) चुनावी मैदान में हैं। राज्य के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) को कांग्रेस ने राजगढ़ लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने विदिशा लोकसभा सीट से पूर्व सीएम शिवराज सिंह (Shivraj Singh) को टिकट दिया है। पिछले 26 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब राज्य के दो-दो मुख्यमंत्री एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले साल 1998 में हुए लोकसभा चुनावों में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने चुनाव लड़ा था। उस साल हुए चुनावों में लड़ने वाले दोनों पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव हार गए थे। एक बार फिर से दोनों पार्टियों ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतारा है।
26 साल पहले भी मैदान में थे 2 पूर्व मुख्यमंत्री
आज से 26 साल पहले 1998 के लोकसभा चुनावों में भी राज्य के दो मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में थे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुंदरलाल पटवा ने छिंदवाड़ा से कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इन चुनावों में पटवा को हार मिली थी। कमलनाथ ने पटवा को डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया था। इसी चुनाव में राज्य के पूर्व सीएम अर्जुन सिंह राज्य की होशंगाबाद लोकसभा सीट से भाजपा के सरताज सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इन चुनावों में सरताज सिंह ने अर्जुन सिंह को 68 हजार वोटों से शिकस्त दी थी।
शुरुआत में दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह दोनों ही दिग्गज नेता लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे। बाद में पार्टी ने टिकट दिया और अब दोनों पूर्व सीएम प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। विदिशा लोकसभा सीट की बात करें तो यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस सीट से भाजपा का कोई भी नेता चुनाव लड़े तो वह जीत जाता है। जबकि राज्य की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट लगातार कांग्रेस के कब्जे में रही है। ऐसे में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से किसी ऐसे नेता की जरूरत थी जो कमलनाथ और नकुलनाथ को टक्कर दे सके। ऐसे में शिवराज सिंह जैसे दिग्गज नेता को विदिशा जैसी गढ़ मानी जाने वाली सीट से भाजपा ने टिकट क्यों दिया? यह सवाल अब भी बना हुआ है।
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