नई दिल्ली. जब खाद्य तेल (Edible oil) महंगा होना शुरु हुए तो इससे जुड़ी सारी वजह एक साथ सामने आने लगी थीं. लेकिन शायद अब खाद्य तेलों के अच्छे दिन आ गए हैं. इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि एक बार फिर से तेल को सस्ता करने वाले कारण एक साथ सामने आने लगे हैं. यही वजह है कि खाद्य तेलों पर बीते चार दिन में 15 फीसद की कमी नजर आने लगी है. इन्हीं में से एक सबसे बड़े कारण पर मंगलवार को अमेरिका (America) में फैसला लिया जा सकता है. इसके बाद खाद्य तेल 40 से 50 रुपये लीटर तक सस्ते होने की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है.
इसलिए 2 दिन बाद 50 रुपये तक सस्ता हो जाएगा तेल
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है, “अमेरिका, मलेशिया और इंडोनेशिया से बड़ी मात्रा में तेल का आयात होता है. लेकिन बीते कुछ वक्त पहले अमेरिका में बायो फ्यूल में 46 फीसद तक रिफाइंड तेल मिलाने की इजाजत दे दी गई. जबकि पहले 13 फीसद तक मिलाया जाता था. वहीं ईद के चलते मलेशिया और इंडोनेशिया में काम कम होने के चलते प्रोडक्शन पर इसका बड़ा असर पड़ता है. कुछ देशों में मौसम के चलते फसल भी खराब हो गई थी. भारत में तेल महंगा होने के कई बड़े कारणों में से यह कुछ कारण थे.
लेकिन मंगलवार को अमेरिका में एक बार फिर बायो फ्यूल में दूसरे खाद्य तेल कितने फीसद तक मिलाए जाएं इस पर विचार होने जा रहा है और यह भी हो सकता है कि 46 फीसद तक रिफाइंड तेल मिलाने के फैसले को ही वापस ले लिया जाए. वहीं अब मलेशिया और इंडोनेशिया में भी खूब प्रोडक्शन हो रहा है. बीते चार दिन में आई 15 फीसद की छोटी सी मंदी भी इसी का असर है.”
नई सरसों भी आने को है तैयार, दिखाएगी कमाल
खाद्य तेलों के आए अच्छे दिन में एक बड़ी वजह यह भी जुड़ने जा रही है कि नई सरसों आने को तैयार है. स्थानीय तेल कारोबारी लाला गिरधारी लाल गोयल बताते हैं, “अगर इसी साल की सरसों की बात करें तो रिकार्ड तोड़ मतलब 86 लाख टन तक उत्पादन हुआ था. मतलब यह उत्पादन बीते साल साथ बहुत ज्यादा था. फिर भी तेल महंगा होता चला गया.
वो इसलिए कि सरसों ज्यादा हो तब भी सरसों तेल सोया और बिनौला रिफाइंड की रेंज में ही रहता है. क्योंकि यदि सरसों तेल मन्दा होता है तो इसका रिफाइन्ड बना कर दूसरे रिफाइन्ड में मिक्सिंग होना शुरू हो जाती है. और अगर सरसों तेल तेज होता है तो सरसों तेल में चावल या कनौला तेल की मिलावट शुरू हो जाती है.”
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