नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली शराब घोटाले (Delhi liquor scam) मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) को शुक्रवार को जमानत दे दी. लेकिन 11 साल बाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई (CBI) को पिंजरे में बंद तोते (‘parrot in the cage’) की याद दिला दी. केजरीवाल को जमानत देते हुए जस्टिस भुइयां ने कहा कि सीबीआई को पिंजड़े में बंद तोते की छवि से बाहर आना होगा और दिखाना होगा कि अब वह पिंजरे में बंद तोता नहीं रहा.
ये टिप्पणी इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि ठीक 11 साल और 4 महीने पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को तोते की याद दिलाई थी. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ‘पिंजरे में बंद तोता’ बताया था. 9 मई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले मामले में सीबीआई जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट में सरकार के हस्तक्षेप पर कड़ी नाराजगी जताते हुए सरकार और सीबीआई दोनों को कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई पिंजरे में बंद ऐसा तोता बन गई है, जो अपने मालिक की बोली बोलता है.
जस्टिस आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि सीबीआई पिंजड़े में बंद तोते की तरह है, जो अपने मालिक के सुर में सुर मिलाता है. इस पीठ में जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ भी थे. पीठ ने तीन घंटे तक सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के 9 पन्नों के हलफनामे पर गौर करने के बाद यह टिप्पणी की थी.
सीबीआई निदेशक ने कोर्ट की टिप्पणी से जताई थी सहमति
सीबीआई को तोता कहने वाली सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सीबआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने सहमति जताई थी. कोर्ट की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सीबीआई निदेशक ने कहा था कि कोर्ट ने जो कहा, सही कहा. सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की ओर से दाखिल दूसरे हलफनामे पर आई थी. इस हलफनामे में कहा गया था कि उस समय के केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार, प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कोयला ब्लॉक आवंटन की जांच रिपोर्ट में खास बदलाव किए थे.
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