उज्जैन। अनाथ और निराश्रित बच्चों की सहायता के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना और स्पॉन्सरशिप योजना महज एक दिखावा बनकर रह गई हैं। जिले के 700 से ज्यादा अनाथ बच्चों को समय पर तथा प्रतिमाह इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। ऐसे में ये बच्चे आर्थिक परेशानियों के बीच जीने को मजबूर हैं।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता का निधन हो चुका है और वे अपने रिश्तेदार या संरक्षकों के साथ रह रहे हैं। ऐसे बच्चों के लिए मध्य प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना चला रही है। इस योजना के तहत बच्चों को 4 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं। इस आर्थिक सहायता का लाभ इन बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक दिया जाता है। 18 वर्ष आयु पूरी करने के बाद बच्चा इस योजना से बाहर हो जाता है। इसके बाद बच्चे को इंटर्नशिप, व्यावसायिक प्रशिक्षण और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सिर्फ एक बार 5 हजार रुपए दिए जाते हैं, वहीं भारत सरकार की ओर से संचालित स्पॉन्सरशिप योजना के तहत बेघर और अनाथ बच्चों को शिक्षा-दीक्षा और पालन-पोषण के लिए हर महीने चार हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। वर्तमान में जिले के लगभग 641 जरूरतमंद बच्चों को ही इस योजना का लाभ मिल रहा है लेकिन अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक इन दोनों योजनाओं में राशि नहीं आई थी, ऐसे में बच्चों को आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ा है। लंबे इंतजार के बाद हाल ही में महिला बाल विकास विभाग ने इन दोनों योजनाओं में शामिल हितग्राहियों को 10 माह की राशि एकमुश्त जारी की है। महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी साबिर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि इन 10 माह की राशि के लिए हाल ही में बजट जारी हुआ। इसके बाद सभी हितग्राहियों को राशि एकमुश्त जारी कर दी गई है। वर्तमान में बाल आशीर्वाद योजना में 84, स्पॉन्सरशिप योजना में 641 और कोविड बाल सेवा में 34 बच्चों को राशि जारी हो रही है।
कोरोना में 39 बच्चों ने खोए थे माता-पिता
महिला बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में 39 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना के दौरान अपने माता-पिता को खोया था। इसके चलते राज्य सरकार ने कोविड बाल सेवा योजना शुरू की थी। इन्हें 18 वर्ष की आयु तक 5 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाने का प्रावधान हैं। जिले में कोविड बाल सेवा के तहत 39 बच्चों के आवेदन स्वीकृत हुए थे, लेकिन अब उनकी संख्या 34 हो गई, शेष बच्चे 23 साल के ऊपर हो गए हैं जिन्हें अब योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। बाकी शेष 34 बच्चों को हर माह 5 हजार रुपए हर माह मिल रहे हैं।
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