- हेलीकॉप्टर की मदद से पकड़कर गाँधी सागर अभ्यारण्य में छोड़ा जाएगा-उज्जैन में बड़ी मात्रा में फसल को होता है नुकसान
उज्जैन। जिले सहित पूरे संभाग और प्रदेश के 35 जिलों में समस्या बन रही नीलगायों से किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है। अब नीलगायों को अफ्रीका से आये विशेषज्ञ पकड़ेंगे और उन्हें संभावित ठिकाने गांधी सागर अभ्यारण्य में छोड़ा जाएगा। फिलहाल यह जगह अभी नीलगायों के लिए तैयार की जा रही है। नीलगायों को पकडऩे में अफ्रीकी विशेषज्ञों की मदद लेने का प्रस्ताव वन्यप्राणी मुख्यालय ने शासन को भेजा था जो अब स्वीकार कर लिया गया है। उज्जैन जिले सहित पूरे संभाग के खेतों में नीलगायों से किसान बेहद परेशान हैं। झुंड बनाकर आने वाली इन नीलगायों की संख्या बेहद अधिक है और जब फसल खड़ी होती है तो नीलगायों के झुंड खेतों में घुसकर फसल चट कर जाता है या अपने पैरों से रौंदकर यह नीलगाय फसलों को खराब कर देती है। किसान भी रात भर जाग कर या बारूद से फायर कर नीलगाय को भगाने का प्रयास करते हैं लेकिन नीलगाय वापस आ जाती है।
इस संबंध में उज्जैन सहित प्रदेश के कई किसान संगठनों ने प्रदेश सरकार से नील गायों को पकडऩे के लिए कई बार कहां और वन विभाग से भी मिले लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला। पिछले एक दशक में कई बार विधानसभा और राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में भी यह मामला उठ चुका है। वन्यप्राणी मुख्यालय ने फसलें बर्बाद करती नीलगायों के शिकार के भी नियम बनाए पर सरकार ने अनुमति नहीं दी क्योंकि इसके नाम में गाय शब्द जुड़ा है, जबकि यह हिरण की प्रजाति है। नीलगाय का शिकार करने पर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कानूनी जुर्म है इसलिए किसान भी इनके साथ कोई ज्यादती नहीं करते हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर महिदपुर तहसील के गांव, माकड़ोन, गुनई खालसा, ताजपुर, पीपलिया सहित नागदा और खाचरौद के ग्रामीण क्षेत्रों के खेतों में फसल के समय नीलगाय अत्यधिक परेशान करती है। राज्य शासन द्वारा इसके लिए दो करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इस राशि से दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ हेलिकाप्टर किराये पर लेंगे, जिससे हाका देकर बोमा बाड़े की मदद से नीलगायों को पकड़ा जाएगा। नीलगायों को पकडऩे का यह अभियान अक्टूबर से शुरू किया जा सकता है। नीलगाय को पकडऩे के लिए उज्जैन जिले सहित उज्जैन संभाग के नीमच, मंदसौर, और प्रदेश के कुल 35 जिले शामिल हैं जिनमें धार, छिंदवाड़ा, छतरपुर, टीकमगढ़, रायसेन, विदिशा, नरसिंहपुर सहित प्रदेश के 35 जिलों में नीलगाय बड़ी समस्या हैं। नीलगायों के झुंड खेतों में घुस जाते हैं और फसलों को तहस-नहस कर देते हैं। रबी और खरीफ फसल के साथ यह समस्या ग्रीष्मकालीन फसलों के समय सबसे अधिक सामने आती है।