नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने जहां केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला, वहीं यूपी सरकार पर कोई टिप्पणी नहीं की। यशवंत सिन्हा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज को लेकर वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। चूंकि, उनके अंदर भी बुलडोजर का भय है। वह यूपी के ही नोएडा में रहते हैं। कुछ कह दूंगा तो हो सकता है कि वह मेरा मकान गिराने के लिए भी बुलडोजर भेज दें। यह बात उन्होंने पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में कही।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि संयुक्त विपक्ष के साझा उम्मीदवार के रूप में मैंने अब तक केरल, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान का दौरा किया है। मैं भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा व पंजाब के अन्य कांग्रेस नेताओं को चुनाव में मेरी उम्मीदवारी का समर्थन करने पर धन्यवाद देता हूं।
मैं दिल से पंजाब और हरियाणा का आदर करता हूं क्योंकि दोनों ही राज्य भारत के दूसरे एवं सर्वमान्य रूप से सम्मानित प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नारे ‘जय जवान जय किसान’ का आदर्श उदाहरण पेश करते हैं। मैं किसान आंदोलन के सभी शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं। करीब एक साल तक चला गौरवशाली किसान आंदोलन विश्व इतिहास का सबसे बड़ा, सबसे लंबा और सबसे शांतिपूर्ण आंदोलन था। उस संघर्ष से जो सीख मिली है वो निश्चित रूप से व्यर्थ नहीं जाएगी।
सिन्हा ने कहा कि भारत के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव बेहद मुश्किल परिस्थितियों में हो रहा है। इससे पहले कभी ऐसा कभी नहीं हुआ। 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के दौरान भी हमारे गणतंत्र को संविधान के लिए एक साथ इतने खतरों का सामना नहीं करना पड़ा था। आज सरकार के कुप्रबंधन के कारण अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब है, जिससे अभूतपूर्व मूल्य वृद्धि और बेरोजगारी पैदा हो रही है। हमारा लोकतंत्र गंभीर खतरे में है।
सत्ताधारी दल और उनकी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक शासन की प्रत्येक संस्था को नष्ट किया जा रहा है। ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग जैसी एजेंसियों और यहां तक कि राज्यपाल कार्यालय का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने, विपक्षी दलों में दलबदल करवाने और विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को गिराने के लिए हथियार के रूप में किया जा रहा है। चुनाव जीतने के लिए, सत्तारूढ़ दल ने भारत के विविधता से भरे समाज का सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकरण कर एक बुरी साजिश रची है। जिसके न केवल सामाजिक शांति के लिए, बल्कि देश की एकता और अखंडता के लिए भी खतरनाक परिणाम होंगे।
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