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अफगानिस्तान : महिलाओं पर सख्ती तालिबान को पड़ेगी भारी, ICJ में कार्यवाही की तैयारी, 20 देशों का समर्थन

September 27, 2024

काबुल । अफगानिस्तान (Afghanistan) में महिलाओं (Women) के साथ सख्ती तालिबान (Taliban) को भारी पड़ने वाली है, क्योंकि लैंगिक भेदभाव और मानवाधिकारों (Human rights) के मुद्दे पर अफगान नेतृत्व के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। महिलाओं पर संयुक्त राष्ट्र संधि (United Nations Treaty) का उल्लंघन करने के आरोप में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी और नीदरलैंड ने तालिबान को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में चुनौती देने का फैसला किया है। इन चारों देशों ने बुधवार को न्यूयॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र महासभा में तालिबान को जवाबदेह ठहराने की कसम खाई। उधर, तालिबान ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इन्कार किया है।

बताया जा रहा है कि बृहस्पतिवार को 20 से अधिक देशों ने तालिबान के खिलाफ प्रस्तावित कानूनी कार्रवाई के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। देशों ने कहा, हम अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन और दुर्व्यवहार की निंदा करते हैं। यह संधि के दायित्वों का घोर उल्लंघन है। देशों ने यह भी कहा कि वे राजनीतिक रूप से तालिबान को अफगान आबादी के वैध नेताओं के रूप में मान्यता नहीं देते हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन के तहत लाया जा रहा है, जिसे 1979 में संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया था और 1981 में लागू किया था। अफगानिस्तान ने 2021 में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने से पहले 2003 में इस कन्वेंशन की पुष्टि की थी। जानकारों की मानें तो कोई भी कार्रवाई करने से पहले तालिबान को जवाब देने के लिए छह माह का समय दिया जाएगा। इसके बाद, यदि वह अदालत के आदेशों की अवहेलना करता है तो अन्य देशों को अफगानिस्तान के साथ संबंध सामान्य या बहाल करने पर रोक लग जाएगी।


छठी से आगे की पढ़ाई पर रोक
बता दें कि 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में लड़कियों को छठी कक्षा से आगे की शिक्षा पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा, यहां महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों पर जाने और अधिकांश नौकरियां करने पर भी रोक है।

महिलाओं के बोलने पर भी पाबंदी
अगस्त में तालिबान ने महिलाओं के लिए नए फरमान जारी किए, जिसके तहत उन्हें पूरी तरह शरीर ढके बिना घर से बाहर निकलने पर पाबंदी है और सार्वजनिक रूप से गाने या अपनी आवाज उठाना भी प्रतिबंधित है, जिसके विरोध में अफगान महिलाओं ने एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है।

दुष्प्रचार फैलाने की हो रही कोशिशः तालिबान
तालिबान के उप प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत ने आरोपों पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की रक्षा की जाती है और किसी को भी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, दुर्भाग्य से कई भगोड़े (अफगान) महिलाओं के मुंह से अफगानिस्तान के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने और स्थिति को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास कर रहे हैं।

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