काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan) में काबुल एयरपोर्ट और पंजशीर घाटी (Panjshir Valley) को छोड़कर सभी जगह तालिबान का कब्जा है. अब तालिबान (Taliban) पंजशीर पर बड़े हमले की फिराक में है. तालिबान के लड़ाके भारी हथियारों के साथ पंजशीर पर हमला करने पहुंच गए हैं. तालिबान ने चेतावनी दी है कि अगर शांतिपूर्ण तरीके से अहमद मसूद (Ahmad Massoud) की सेनाएं सरेंडर नहीं करेंगी, तो उन पर हमला किया जाएगा. हालांकि, अहमद मसूद ने सरेंडर से साफ इनकार कर दिया है और जंग की चुनौती दी है. इस बीच टोलो न्यूज़ ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि पंजशीर के लड़ाकों ने तालिबान पर रास्ते में घात लगाकर हमला किया. इस हमले में तालिबान के 300 लड़ाकों को मार दिया गया है.
दरअसल, पंजशीर में अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद (Ahmad Massoud)और खुद को अफगानिस्तान (Afghanistan) का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) तालिबान (Taliban) को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. इकलौता प्रांत पंजशीर ही है, जहां तालिबान के खिलाफ नया नेतृत्व बन रहा है, जो तालिबान की सत्ता को मानने से इनकार कर रहा है.
अहमद मसूद के पिता अहमद शाह मसूद भी तालिबान से हमेशा लड़ते रहे हैं. उन्होंने तो अफगानिस्तान से सोवियत संघ को भी बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी. अहमद शाह मसूद की हत्या साल 2001 में तालिबान और अलकायदा के लड़ाकों ने की थी.
पंजशीर के लोगों का कहना है कि वे तालिबानी ताकतों के खिलाफ डटकर मुकाबला करेंगे. यहां के लोगों को तालिबान से खौफ नहीं है. बता दें कि पंजशीर घाटी की आबादी महज 2 लाख है. काबुल के उत्तर में यह इलाका महज 150 किलोमीटर दूर है.
पहले भी मात खा चुका है तालिबान
70 और 80 के दशक में एक वक्त ऐसा आया जब तालिबान ने पंजशीर घाटी को जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया था. फिर भी उन्हें पंजशीर में कामयाबी नहीं मिली. इसी दौरान जब सोवियत सैनिकों ने अफगानिस्तान पर हमला किया था, तब भी पंजशीर के लड़ाकों ने उन्हें शिकस्त दी थी. ताजिक समुदाय के रहने वाले लोग चंगेज खान के वंशज हैं. यह समुदाय लगातार तालिबानियों के लिए चुनौती बना हुआ है.
10 हजार लड़ाके टक्कर लेने को तैयार
निर्वासित अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार में रक्षा मंत्री, जनरल बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने ऐलान किया है किया है कि वे पंजशीर की सुरक्षा करते रहेंगे. उन्होंने कहा है कि पंजशीर घाटी तालिबानी ताकतों का विरोध लगातार करती रहेगी. घाटी में जंग जारी रहेगी.
तालिबान के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं पंजशीर के लड़ाके
तालिबानी भी पंजशीर मामले को जल्दी हल करने के पक्ष में हैं. उनका मानना है कि पंजशीर के लड़ाकों को शांत नहीं किया गया तो उन्हें सरकार चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान के वार्ताकार अहमद मसूद से लगातार सरकार में शामिल होने के लिए बातचीत कर रहे हैं. अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है. हक्कानी के दावों की भी अभी पुष्टि नहीं हुई है.
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