नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान ही आतंकवाद का केंद्र रहेगा और यहीं से ही मध्य और दक्षिण एशिया तक अशांति रह सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान की मौजूदगी और सुरक्षा की लचर व्यवस्था के चलते आईएसआईएल-खुरासान, अल कायदा और तहरीक ए तालिबान जैसे आतंकी संगठन वहां आराम से अपनी जड़े जमाए हुए हैं। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की 31वीं एनालिटिकल सपोर्ट एंड सैंक्शन्स मॉनिटरिंग टीम की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और लेवैंट-खुरासान, अल-कायदा, तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान, ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, इस्लामिक जिहाद ग्रुप, खतिबा इमाम अल बुखारी, खतिबा अल तौहीद वल-जिहाद, जमात अंसारुल्लाह और अन्य कई आतंकी अफगानिस्तान से शुरू हुए हैं और इन आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान में पूरी आजादी मिली हुई है। तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में अब सुरक्षा व्यवस्था भी काफी लचर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान को अफगानिस्तान में आईएस-खुरासान से कड़ी चुनौती मिल रही है। खुरासान अफगानिस्तान के लोगों के यह अहसास कराना चाहता है कि तालिबान उन्हें सुरक्षा देने में नाकाम हो रहा है और इसी लिए खुरासान संगठन अफगानिस्तान में हमलों को अंजाम दे रहा है। आईएस-खुरासान अन्य देशों के साथ तालिबान के रिश्तों को भी कमजोर करना चाहता है। बीते दिनों कई दूतावासों पर हुए हमलों में भी खुरासान गुट का नाम सामने आया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खुरासान गुट चीन, पाकिस्तान और भारत में भी आतंकी हमले करने की तैयारी कर रहा है।
आईएस-खुरासान में आतंकियों की संख्या करीब छह हजार बताई जा रही है और यह अफगानिस्तान के कुनार, नांगरहर और नूरीस्तान जैसे प्रांतों में सक्रिय है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अल कायदा की ताकत में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। अल जवाहिरी की मौत के बाद भी अल कायदा अफगानिस्तान में अपनी जगह बनाए हुए है। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता कब्जाने के बाद तहरीक ए तालिबान की भी ताकत में इजाफा हुआ है। जिसके बाद से यह आतंकी संगठन पाकिस्तान में कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका है।
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