महिदपुर। महारानी चंद्रावती वाचनालय एवं ग्रंथालय संस्था द्वारा आयोजित साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में वाचनालय के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ अभिभाषक राजमल जैन एडवोकेट का संस्था में दिए गए योगदान हेतु सम्मान समारोह वाचनालय परिसर में विधायक दिनेश जैन बोस के मुख्य आतिथ्य एवं समाजसेवी पारस लुणावत की अध्यक्षता में किया गया।
समारोह के शुभारंभ में मां सरस्वती एवं महारानी चंद्रावती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। सरस्वती वंदना का गायन कैलाश मंडोर ने किया। संस्था का प्रगति प्रतिवेदन प्रदीप सुराना ने प्रस्तुत किया। अतिथियों का परिचय जैनेंद्र खेमसरा ने दिया। अतिथियों का पुष्पमाला से स्वागत संस्था अध्यक्ष त्रिलोक सोलंकी, उपाध्यक्ष अशोक पाठक, ऋषभ जैन, संदीप चौहान, प्रदीप कसेरा, अरुण बुरड, माणकलाल चौहान, जगदीश पंजाबी, आर.सी. ठाकुर द्वारा किया गया। आर.एम. जैन को दिए गए अभिनंदन पत्र का वाचन जगदीश ज्वलंत ने किया। वाचनालय के इतिहास पर प्रकाश वरिष्ठ पत्रकार शांतिलाल छजलानी ने डाला। त्रिलोक सोलंकी ने स्वागत भाषण दिया। अशोक पाठक ने आर.एम. जैन वरिष्ठ अभिभाषक का जीवन परिचय दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिनेश जैन बोस ने 110 वर्ष से संचालित वाचनालय के विकास कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इस प्राचीन धरोहर की प्रगति पर संस्था परिवार को धन्यवाद देते हुए शुभकामनाएँ अर्पित की एवं भविष्य में संस्था के विकास के लिए पूर्ण सहयोग देने की भावना व्यक्त की। अपने सम्मान के लिए आर.एम. जैन ने सभी का धन्यवाद देते हुए संस्था के विकास में आई बाधाओं का जिक्र करते हुए संस्था छात्रों के लिए सांस्कृतिक, साहित्यिक कार्यक्रमों को करने की भावना व्यक्त करते हुए बच्चों के लिए अच्छा खेल मैदान परिसर में बनाने का आह्वान किया। अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी पारस लुणावत ने आर.एम. जैन के बहुआयामी व्यक्तित्व का जिक्र करते हुए उनके योगदान को अविस्मरणीय बताया। क्षेत्रीय विधायक दिनेश जैन बोस का भी वाचनालय परिवार द्वारा शाल-श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया। संचालन वरिष्ठ पत्रकार जवाहर डोसी पीयूष ने किया। आभार ऋषभ जैन ने माना। इस अवसर पर एक सरस काव्य गोष्ठी के आयोजन में नागदा से पधारे 4 वरिष्ठ कवि सुंदरलाल जोशी, सुग्रीव गोरखपुरी, डॉ.लक्ष्मी नारायण सत्यार्थी एवं राजेंद्र कांठेड ने अपनी कविताओं से समां बांध दिया। संस्था द्वारा कवि गणों का पुष्प मालाओं से सम्मान किया गया।