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प्रशासन की सख्ती नहीं काम आ रही दानदाताओं पर

May 26, 2024

  • अधिकारी आदेश देकर भूले…कार्रवाई के लिए मैदान में नहीं उतरा अमला
  • एक तरफ खुलेआम भिक्षावृत्ति जारी, दूसरी और शहरभर में इस तरह के पोस्टर लगे

इंदौर। भिक्षुकों के साथ भिक्षावृत्ति को प्रोत्साहित करने वाले दानदाताओं पर भी कलेक्टर आशीष सिंह ने दंडात्मक कार्रवाई करने के निर्देश जारी तो कर दिए हैं, लेकिन बैनर पोस्टर लगाए जाने के बाद भी लोगों में जागरूकता नहीं आ रही है। हर दिन मंदिरों के बाहर दानदाताओं को देखा जा सकता है। कल शनि मंदिरों पर शनिवार का दान करते कई लोग नजर आए, वही आज सुबह राजवाड़ा महालक्ष्मी मंदिर पर जिन बैनर पोस्ट पर निषेध के नियम जारी किए गए हैं, उनके समक्ष ही दानदाता दान करते रहे।इंदौर जिले को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने नई पहल शुरू की है, उन्होंने निर्देश जारी करते हुए बच्चों को भिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने वालों पर भी कार्रवाई की बात कही है।

दान लेने वालों के साथ-साथ दानदाताओं पर भी प्रशासन सख्ती का डंडा चलाने की बात कह रहा है । ट्रैफिक सिग्नल और मंदिरों के बाहर पेन-पेंसिल, गुब्बारे खिलोने बेचने के नाम पर बच्चों से भिक्षा मंगवाई जा रही है, इसलिए कलेक्टर ने यह सामान भी नहीं खरीदने के निर्देश जारी किए हैं। लेकिन मतगणना की तैयारी में लगे कर्मचारी ने अभी तक भिक्षुक मुक्त शहर के लिए कोई भी मुहिम शुरू नहीं की है। अधिकारी निर्देश जारी होते ही बैनर-पोस्टर लगा कर भूल चुके हैं। इंदौरवासियों को दान के आगे कार्रवाई का डर भी नहीं सता रहा है। लेकिन दानदाताओं के शहर इंदौर को यदि भिक्षुक मुक्त करना है और भिक्षुकों पर लगाम लगानी है तो पहले जन जागरूकता की मुहिम छेडऩी होगी।

फिर न लगे अव्यवस्थाओं का अंबार
भारत सरकार द्वारा इंदौर जिले में भिक्षुक मुक्त इंदौर प्रकल्प का पायलट प्रोजेक्ट 2020 से चलाया जा रहा है इसे एक बार फिर गति दी जा रही है। बाल कल्याण समिति, श्रम विभाग,महिला बाल विकास के साथ मिलकर चाइल्डलाइन ने शहर के 40 चौराहों पर अभियान छेडा था, जिसे फिर आगे बढाया जा रहा है। हालांकि इस अभियान की चाक-चौबंद व्यवस्था का हवाला देने वाले महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी अपनी ही टीमों को सुविधा मुहैया नहीं करा पा रहे थे, ना विभाग के पास यह रणनीति तैयार है कि पकड़े गए बच्चों और वयस्क भिक्षकों को कहां रखा जाना है, ना ही मैदानी टीमों को इस बारे में कोई भी जानकारी दी गई थी। इस बार भी यही स्थिति बन रही है। ज्ञात हो कि बाल कल्याण समिति का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। जिसके चलते इंदौर के बच्चों की जिम्मेदारी भी उज्जैन की समिती के ऊपर है। प्रकरणों की सुनवाई उज्जैन से की जा रही है।

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