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    1349 महिलाओं को उनका हक दिलाने की प्रशासन की पहल

  • June 27, 2024

    इंदौर। लंबी लड़ाई के बाद हुकमचंद मिल के कर्मचारियों को न्याय तो मिला, लेकिन अब परिवारिक लड़ाई के चलते कई परिवारों को उनके हक का मेहनताना मिलने में देरी का सामना करना पड़ रहा है। लगभग 2800 जीवित कर्मचारियों को राशि का भुगतान किया जा चुका है। अब प्रशासन 1349 विधवाओं को उनका हक दिलाने की पहल कर रहा है। कलेक्टर आशीष सिंह ने हुकमचंद मिल के मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए एक अभिनव पहल की है। 1349 विधवाओं की कागजी खानापूर्ति कराकर उन्हें उनके पति की मेहनत का फल दिलवाया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी अपर कलेक्टर निशा डामोर को सौंपी गई है। ज्ञात हो कि 5895 लोगों को भुगतान होना है, जिनमें से 5168 ने आवेदन कर दिए हैं। इनमें से जो जीवित नहीं हैं, उनकी विधवा को लाभ मिलेगा। अधिकतर मामलों में पारिवारिक झगड़े सामने आ रहे हैं। दावे-आपत्ति लगाई जा रही हैं, जिनका निराकरण करने के लिए लंबा समय निकल रहा है। गठित कमेटी प्रकरणों की सुनवाई कर जल्द से जल्द प्रकरण निपटाने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभूतपूर्व सफलता हासिल नहीं हो रही है। इसे देखते हुए कलेक्टर ने एक और अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। अब अपर कलेक्टर डामोर अपनी देखरेख में रणनीति तैयार कर जल्द से जल्द भुगतान की कार्रवाई करेंगी।


    जीवित का 100 प्रतिशत हुआ पूरा
    अधिकारियों के अनुसार मिल के जीवित 100 प्रतिशत कर्मचारियों के लगभग 2800 लोगों का पेमेंट हो चुका है। अब रणनीति बनाकर सूची तैयार की जा रही है। इसमें सबसे पहले कम पेचीदा आवेदनों पर पहले कार्रवाई की जाएगी। कई मामलों में भाई-बहनों और परिवार का झगड़ा सामने आ रहा है। पिता की संपत्ति में लड़कियों का भी अधिकार है, लेकिन शादी के बाद दस्तावेज पति के नाम पर बनने के कारण उनके पास सबूत नहीं कि वे पिता की जानकारी दे पाएं। 1349 विधवा भी आवेदन कर रही हैं कि उनके पति यहां काम करते थे, जिसकी जांच की जा रही है। अब प्रशासन मामलों की स्क्रूटनी करेगा। कम पेचीदा मामलों को पहले सुना जाएगा, ताकि पेमेंट देंने में आसानी हो और जल्दी दिया जा सके।

    141 आवेदन ही हैं, जिनमें कोई आपत्ति नहीं है
    141 ऐसे आवेदन हैं, जिनमें दस्तावेज पूरे होने और कोई आपत्तिकर्ता नहीं होने के कारण निपटान जल्दी हो सकता है। सबसे पहले इन पर सुनवाई होगी। 1208 मामलों में दस्तावेजों की कमी है, जैसे वारिसान की कमी, उनकी सहमति जैसी कई तरह की कमीबेशी है। परिवारों को निर्देश दिए गए हैं कि जल्द से जल्द दस्तावेजों की कमी पूरी करें।

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