उज्जैन। प्रशासन और पुलिस की नजर अब महाकाल मंदिर में अवैध कमाई करने के मामले में गिरफ्तार कर्मचारियों की संपत्ति पर हैं। अधिकारी इसकी जानकारी जुटाने में लगे हैं। इसमें अन्य विभागों की मदद लेने जा रहा हैं। वहीं मोबाइल डेटा, व्हाट्सएप चैटिंग के आधार पर अन्य अधिकारी-कर्मचारियों से पूछताछ हो सकती है।
महाकाल मंदिर में दर्शन के नाम से अवैध कमाई करने वाले कर्मचारियों की जांच में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही हैं। इसमें सबसे बडी बात कर्मचारियों और उनके परिजनों के नाम से चल-अचल संपत्ति हैं। सूत्रों के अनुसार मंदिर प्रबंध समिति में 15 से 20 साल की नौकरी में मामूली वेतन पाने वाले इन कर्मचारियों ने हाल के वर्षों में लाखों की चल-अचल संपत्ति भी बनाई है। ऐसे में अब प्रशासन, पुलिस यह पता करने की कोशिश करेगा कि संपत्ति बनाने में कर्मचारियों ने कितनी राशि खर्च की। यह राशि कर्मचारियों के पास कहां से आई हैं। इसकी जांच में अन्य विभागों की मदद ली जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त उन अधिकारियों-कर्मचारियों से भी पूछताछ संभव जिनके नबंर पर गिरफ्तार कर्मचारियों ने अनेक बार मोबाइल पर बात और व्हाट्सएप पर चैटिंग की हैं।
पहले के घोटालों जैसे हश्र नहीं हो जाए
दर्शन के लिए रुपए के लेन-देन के ताजे मामले में प्रशासन और पुलिस की अब तक की कार्रवाई में गंभीरता और सक्रियता नजर आ रही है, लेकिन फिर लोगों के मन में शंका हैं कि आगे चलकर इस मामले का हश्र पहले के घोटले या चोरी, गड़बड़ी की घटना की तरह नहीं हो जाए, जिसमें दोषियों का क्या हुए, कौन सी सजा मिली किसी को पता नहीं हैं। कुछ वर्षों पहले महाकाल मंदिर में दो बहुचर्चित मामले सामने आए थे। इसमें एक महाकाल मंदिर की स्वर्ण शिखर योजना में लाखों के तांबे का घोटाला हुआ था। उसे वक्त के अधिकारियों द्वारा की गई जांच में दोषियों के नाम उजागर करने के साथ-साथ मंदिर समिति की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए थे। मामले में पुलिस शिकायत की अनुशंसा भी की गई थी। दूसरा मामला दान राशि की गणना के दौरान रुपए चोरी का था। इस घटना में मंदिर समिति के ही कर्मचारियों को दान राशि की गणना के दौरान रुपए चोरी करते हुए पकड़ा गया था। इसमें भी पुलिस प्रकरण दर्ज करने की बात कही गई थी, लेकिन दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और दोनों ही मामले फाइलों में दफन हो गए। हाल के वर्षों में महाकाल मंदिरों में धोखाधड़ी, ठगी, अनियमितता, फर्जीवाड़े के कई अलग-अलग मामले सामने आने के बाद मंदिर समिति ने कभी भी सख्ती और गंभीरता से कार्रवाई नहीं की। भस्म आरती,दर्शन-पूजन के नाम से रुपए लेने, उज्जैन में ही महाकाल के नाम से फर्जी-नकली वेबसाइट के संचालन, दान के राशि गणना के दौरान राशि चुराने का मामला सामने आने पर भी मंदिर प्रबंध समिति दोषियों को सजा नहीं दिला सकी। मंदिर प्रबंध समिति ने कभी भी कानून, नियमानुसार कदम ही नहीं उठाया।
पूर्व की गई शिकायतों पर जांच नहीं
दो वर्ष पहले कांग्रेस नेता भरत पोरवाल ने कुछ कर्मचारियों की नामजद शिकायत तात्कालिक मुख्यमंत्री, संभागायुक्त, कलेक्टर, एसपी, और लोकायुक्त एसपी, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ एसपी से की थी। इस आरोप लगाया था कि मंदिर के कर्मचारी दर्शन, भस्म आरती, गुप्तदान, दक्षिणा में आर्थिक गड़बड़ी करने के साथ ही अन्य तरीके से होटलों संचालकों, दुकानदारों से मिलकर महाकाल मंदिर में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। उस वक्त किसी ने शिकायत पर ध्यान नहीं दिया और शिकायतकर्ता पोरवाल भी इसे लेकर गंभीर और सक्रिय नहीं रहे। अब एक बार फिर संपत्ति का मसला उजागर हो गया है। खास बात यह कि उस शिकायत में जो नाम दिए गए थे,उनमें से कुछ कर्मचारी पिछले दिनों उजागर हुए मामले में गिरफ्तार किए गए हैं। इसी तरह शासकीय सेवक अरुण चंद्रवंशी द्वारा मंदिर की अनियमितता, गड़बड़ी को लेकर सीएम हेल्पलाइन पर 6 अक्टूबर 2021 को शिकायत (क्रं 15533217) की थी। यह शिकायत बगैर जांच पूरी किए नस्तीबद्ध कर दी गई।
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