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बिहाडिय़ा में अवैध कॉलोनी की शिकायत पर प्रशासन ने दर्ज कराई FIR

April 26, 2022

  • बिना कोई अनुमति लिए भूखंडों की बुकिंग, लोगों के साथ धोखाधड़ी, खेती की जमीन पर सीधे भूखंड काटकर बेचने के मामले में प्रशासन की सख्त कार्रवाई

इंदौर। अवैध कॉलोनी के मामले में नगर निगम के साथ-साथ प्रशासन द्वारा भी पंचायत क्षेत्र में कार्रवाई की जा रही है। पिछले दिनों बिहाडिय़ा की जमीन खसरा नम्बर 33/2/1 पर अवैध कॉलोनी काटने और भूखंडों को धोखाधड़ी कर बेचने की शिकायत कलेक्टर मनीष सिंह को मिली, जिस पर उन्होंने जांच कर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। नतीजतन अभी अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर ने इस मामले में खुड़ैल थाने पर अवैध कॉलोनी विकसित करने वाले सचिन पाटीदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। इस कॉलोनी के संबंध में किसी तरह की मंजूरी नहीं ली गई। ना तो डायवर्शन करवाया और ना ही विकास अनुमति ली गई। धारा 120-बी के साथ धारा 420 और अन्य में थाना खुड़ैल ने प्रथम सूचना रिपोर्ट यानी एफआईआर भिचौली हब्सी क्षेत्र के राजस्व निरीक्षण ने दर्ज करवाई। इस मामले में सीएम हेल्पलाइन पर भी पिछले दिनों शिकायत दर्ज करवाई गई थी।

कल ही सुप्रीम कोर्ट ने अवैध कॉलोनियों को शहरी विकास के लिए खतरा बताया और कहा कि इसे रोकने के लिए राज्य सरकारों को एक ठोस कार्य योजना बनाई जाना चाहिए। हालांकि इंदौर सहित प्रदेश में अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया भी चल रही है, तो दूसरी तरफ कई क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियां अभी भी काटी जा रही है और जनता को मूर्ख बनाकर भूखंड बेच दिए जाते हैं। इंदौर में एक हजार से अधिक अवैध कॉलोनियां निगम और पंचायत क्षेत्र में मौजूद है। कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा लगातार भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जिसके चलते पिछले दिनों सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत मिली कि बिहाडिय़ा में अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही है। इस पर कलेक्टर के निर्देश पर डॉ. अभय बेड़ेकर ने जांच करवाई और जब यह पता चला कि किसी तरह की कोई अनुमति इस कालोनी को विकसित करने के लिए नहीं ली गई है तब राजस्व निरीक्षक भिचौली हप्सी के जरिए कॉलोनी काटने वाले सचिन पाटीदार निवासी तिल्लौरखुर्द के खिलाफ धोखाधड़ी और चार सौ बीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई।


सचिन पाटीदार द्वारा बिना विकास अनुमति, नगर तथा ग्राम निवेश से बिना अभिन्यास मंजूर करवाए आवासीय भूखंड बेचने के साथ-साथ भवनों का निर्माण भी कराया जा रहा था। इस जमीन का डायवर्शन करना भी नहीं पाया गया और सर्वे नम्बर 35/2/1, पैकी रकबा 0.150 हेक्टेयर भूमि पर भूखंडों को काटकर बेचा गया। यहां तक कि ग्राम पंचायत से भी नक्शा मंजूर नहीं पाया गया। मौके पर चार मकान भी बन गए और दो मकान निर्माणाधीन हैं। पंचनामा, खसरा नकल और शिकायत के मद्देनजर जांच के बाद अवैध कॉलोनी काटना सिद्ध पाया गया। लिहाजा प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करवाई। आधा दर्जन छोटे-बड़े भूखंडों के दस्तावेज पंजीकृत यानी रजिस्ट्री भी करवा दिए गए। दस्तावेजों से ही यह पता चला कि सचिन पाटीदार द्वारा अवैध कालोनी विकसित की जा रही है, जो कि पंचायती राज अधिनियम 16 (घ) के तहत भी दंडनीय अपराध है। मौके पर भूखंड जिन लोगों को बेचे उनके रहवास से संबंधित न्यूनतम सुविधाओं का विकास यानी सडक़, बिजली, ड्रैनेज, पेयजल सहित अन्य कोई सुविधाएं भी जांच के दौरान नहीं पाई गई।

निगम ले रहा है अवैध कॉलोनियों को वैध करने के आवेदन
पिछले दिनों नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू करवाई। दरअसल, पूर्व में जबलपुर हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद विगत वर्षों में हुई वैध कालोनियां भी जहां फिर से अवैध घोषित हो गई, वहीं जिन कालोनियों को बाद में वैध किया गया वे भी कोर्ट आदेश के बाद पूर्व की स्थिति यानी अवैध की श्रेणी में आ गई। नियमों में संशोधन के बाद पिछले दिनों नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक 2021 लागू करते हुए उसमें कई नए प्रावधान भी जोड़े गए, जिसके चलते नगर निगम के कालोनी सेल द्वारा अवैध कालोनियों को वैध करने के आवेदन भी लिए जा रहे हैं।

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