इंदौर। अक्षय तृतीया के अबूझ मूहूर्त पर बाल विवाह रुकवाने के लिए कलेक्टर ने धारा 144 लगा दी है। सामाजिक संगठनों एवं धार्मिक संगठनों द्वारा वैवाहिक कार्यक्रम आयोजित करने और इस दौरान बाल विवाह की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। दो टीमों के साथ तहसीलदार भी अपने-अपने क्षेत्र में पैनी नजर रखेंगे।
अखातीज के मौके पर ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में विभिन्न समाज एवं सामाजिक संगठनों द्वारा सामूहिक विवाह करवाए जाते हैं। इस दौरान गुपचुप तरीके से माता-पिता द्वारा बेटी के बाल विवाह की भी खबरें आती हैं, जिन पर विराम लगाने के लिए जिला प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए आयोजनों पर धारा 144 लगा दी है। अब इन विवाहों में यदि बाल विवाह किया जाता है तो बैंडबाजे, टेन्ट आदि की व्यवस्था करने के साथ आयोजन स्थल के मालिक और शादी सम्पन्न कराने वाले पंडित और धर्मगुरुओं को भी सजा दिलवाई जाएगी। ज्ञात हो कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत आदेश जारी किए गए हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शिक्षक, कोटवार, शौर्या दल, चाइल्ड लाइन, लाडो अभियान के सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमण कर ऐसे आयोजनों पर कड़ी नजर बनाएं। बाल विवाह होने की दशा में स्थानीय पुलिस थाना, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी व चाइल्ड लाइन के नं. पर पुन: सूचना दिया जाना अनिवार्य किया गया है। ये टीमें सामूहिक विवाह करवाने वाले सामाजिक संगठनों से भी शपथ पत्र लेंगी कि उनके आयोजन में कोई भी बाल विवाह नहीं हो रहा है।
प्रिंटिंग प्रेस वालों पर भी होगी सख्ती
21 वर्ष से कम बालक और 18 वर्ष की कम की बालिका का विवाह नाबालिग विवाह की श्रेणी में आता है, इसलिए रोकथाम के लिए शादी की पत्रिका छपवाने तक पर भी नियम लागू किया गया है कि यदि कोई भी शादी की पत्रिका छपती है तो उस पर वर-वधू की जन्म तारीख अंकित करना अनिवार्य है। अक्षय तृतीया पर विशेष तौर पर नाबालिगों के विवाह करवाए जाते हैं, जिनके लिए जिला प्रशासन ने लाडो कोर ग्रुप के महेंद्र पाठक व अन्य उडऩदस्तों को भी सतर्क कर दिया है।
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