पटवारी और कर्मचारी अन्य विभागों में अटैचमेंट की जुगत भिड़ा रहे
इंदौर। राजस्व के महाअभियान के बावजूद भी पेंडेंसी (pendency) के मामले और आवेदकों की शिकायतों का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है । कलेक्टर ने सख्त लहजे में अपने अधीनस्थों को चेता दिया है कि हीला हवाली नहीं चलेगी। जीरो टॉलरेंस (zero tolerance) की रणनीति पर ही काम होगा। काम नहीं तो करवाई झेलनी होगी । उच्च अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र की तहसीलों का बारीकी से निरीक्षण का रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी है। इसके बाद कलेक्टर (Collector) ने हर 15 दिन में एक बार निरीक्षण के निर्देश जारी किए हैं। अब काम नहीं करने वालों पर गाज गिरना तय है।
कलेक्टर आशीष सिंह (Collector Ashish Singh) ने इंदौर जिले का प्रभार लेते ही अपनी कार्यशैली जाहिर कर दी थी, लेकिन उसके बावजूद भी कुछ कर्मचारी और अधिकारी बाज नहीं आ रहे हैं । लंबे समय से तहसीलदार और नायब तहसीलदार के बिना लेनदेन के काम नहीं करने की शिकायतें कलेक्टर के कानों तक पहुंच रही थी। हर कोर्ट में पेंडिंग फाइलों का जखीरा बढ़ते जा रहा था और आवेदक सीधे कलेक्टर तक शिकायत लेकर पहुंचने लगे थे। इसके बाद अपर कलेक्टर ने अपने-अपने क्षेत्र की तहसीलों पर दबिश डाली। इसके बाद कलेक्टर जीरो टॉलरेंस की रणनीति अपनाते हुए करवाई मोड में आ गए हैं। अपर कलेक्टर रोशन राय, सपना लोवंशी, गौरव बैनल के औचक निरीक्षण के बाद अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों की पोलपट्टी खुल गई है। कई तहसीलों में जहां लंबे समय से फाइलें दबा कर रखी हैं, वहीं समय पर पेशी नहीं होने के कारण आवेदकों को लटकाया जा रहा है। अमल दरामदी के मामले भी भारी संख्या में रोके गए हैं। हालांकि तीनों ही अपर कलेक्टर ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लापरवाही और लेनदेन का खुलासा हुआ है। आरआई और पटवारी समय पर जांच रिपोर्ट पेश नहीं कर रहे हैं, वही उनकी जांच रिपोर्ट नहीं आने के कारण कई मामलों में पेशियों में तारीख ही बढ़ाई जा रही हैं।
तीन नियम मानो… नहीं तो कार्रवाई झेलो
कलेक्टर सिंह ने तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी को चेताते हुए तीन नियम का उल्लेख किया है। उनके अनुसार पहला- पेशी से उतरे हुए मामले अब नहीं चलेंगे, समय पर जिन मामलों में पेशी नहीं हो रही है, उन्हें निकालें और काम करें । दूसरा- आरआई पटवारी की रिपोर्ट समय पर आनी ही चाहिए। पेंडेंसी ज्यादा तो नहीं है, जांच करें और तीसरा – जो आदेश हुए उनका अमल हुआ या नहीं। इन्हीं तीन नियमों पर अमल करें और इसकी समय-समय पर जांच भी होती रहेगी। आवेदकों को समय पर न्याय मिले, यह पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। कलेक्टर के अनुसार अभी सिर्फ जांच कराई है, लेकिन यदि बड़ी लापरवाही सामने आई तो विधि अनुसार कार्रवाई भी की जाएगी और यदि उसके बावजूद भी कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आए तो सख्त कार्रवाई भी झेलनी पड़ सकती है।
विभागों में अटैच कराने की तैयारी
पिछले दिनों अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई के बाद पटवारी और नायब तहसीलदार भी परेशान हैं। उनके अनुसार प्रोटोकॉल और कई योजनाओं में काम करने के दौरान समय की कमी पड़ती है, जिसके कारण लंबित प्रकरणों की संख्या बढ़ती है। कलेक्टर के सख्त रवैया और काम के बढ़ते प्रेशर को देखते हुए कई पटवारी अपने आपको विभागों में अटैच कराने की जुगत भिड़ाने में लगे हैं। दबी जुबान में सभी कर्मचारी कहते पाए गए कि राजस्व का काम करा लो या प्रोटोकॉल। सरकारी योजना को लेकर दौरा करने के कारण भी मामले बढ़ जाते हैं। वर्तमान में अमला चुनाव की तैयारी में व्यस्त है।
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