भगवान राम ने सीता माता के लिए शिव का धनुष और अन्याय पर विजय के लिए रावण का घमंड तोड़ा था, लेकिन आदिपुरुष बनाने वालों ने राम की मर्यादा तोड़ दी। पूरी फिल्म में यही लगता रहा कि कहीं बाहुबली का अगला पार्ट तो नहीं देख रहे। फिल्मों में रचनात्मकता की आजादी है, लेकिन ओटीटी फिल्म के टेम्पलेट में अगर रामकथा को फिल्माने की कोशिश करेंगे तो माया मिलेगी न राम। नए जमाने की रामायण बनाने की कोशिश ने राम की मर्यादा का राम नाम सत्य कर दिया।
रामकथा से तो सभी परिचित हैं। लोग फिल्म देखने इसीलिए गए कि पता चले रामायण की कहानी को वीएफएक्स तकनीक से कितनी सुंदरता से दिखाया जाता है। रावण सेना ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ वाले नाइटवॉकर्स जैसी बना दी। करोड़ों लोगों के आराध्य हनुमानजी के चरित्र में कॉमेडी घुसाने की कोशिश जमी नहीं। लंका दहन के पहले हनुमान बने पात्र के मुंह से यह डायलॉग शायद ही किसी को जमा, जब रावण-पुत्र इंद्रजीत बजरंगबली की पूंछ में आग लगाने के पहले पूछता है -जली? हनुमानजी कहते हैं -तेल तेरे बाप का, कपड़ा तेरे बाप का और जलेगी भी तेरे बाप की। फिल्म के अंत में राम कहते हैं -ऐ रावण, आ रहा हूं मैं, अपने दो पैरों से तेरे दस सिर कुचलने! राम कोई जय या वीरू हैं और रावण गब्बर? राम अगर अयोध्या के नरेश और मर्यादा पुरुषोत्तम हैं तो रावण भी परम ज्ञानी और लंकापति है। क्या मर्यादा पुरुषोत्तम किसी राष्ट्राध्यक्ष का नाम लेकर ऐसी बात कहेंगे? रामायण के हरेक पात्र की विशेष छवि हमारे हृदय में अंकित है, इसलिए उससे प्रयोग नहीं करना चाहिए।
भगवान राम के अनेक नाम हैं। इस फिल्म में राम राघव हैं, लक्ष्मण शेष हैं, सीता माता जानकी हैं और हनुमान का नाम बजरंग है। भगवान राम के रघुकुल में जन्म लेने के कारण ही उन्हें राघव, रघुवीर, रघुनंदन, रघुराज आदि कहा जाता है। रामायण के सात भाग हैं, जिन्हें कांड कहा गया है। इस फिल्म में अरण्य कांड का थोड़ा हिस्सा है और फिर सुंदरकांड। लंका कांड का अधूरा चित्रण है। फॉर्मूला फिल्मों के स्टाइल में राम और सीता के वनवास के कुछ दृश्यों को रोमांटिक बनाने की कोशिश हास्यास्पद है। लम्हे फिल्म में जैसे श्रीदेवी की साड़ी लहराती है वैसे ही सीता मैया का आंचल लहराना, पाश्र्व में रोमांटिक-सा गाना बजना अटपटा लगता है। उजले पक्ष भी हैं इस फिल्म के। रावण के दस मुंह में पांच आगे और पांच पीछे दिखाए गए हैं, जो आपस में बात भी करते हैं और बहस भी। सोने की लंका में रोम के पत्थरों जैसे महल और दुबई जैसी अट्टालिकाएं तकनीक का कमल हैं। रावण एक बार भी सीता को छूने का प्रयास नहीं करता। जटायु का संघर्ष और सीताहरण के दृश्य तकनीक ने बेहद रोमांचक बना दिए। यह फिल्म 5 भारतीय भाषाओं में आई है और 29 देशों सहित 6000 से ज्यादा सिनेमाघरों में एक साथ लगी। रामायण को केवल तीन घंटों में दिखाना संभव नहीं है। 3डी तकनीक के साथ ही यह फिल्म डॉल्बी ध्वनि के आगे की एटमोस तकनीक पर उपलब्ध है। फिल्म में जय श्रीराम के घोष के साथ के गीत आकर्षक हैं।
– डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
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