नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें दिल्ली की जेल प्रणाली में अस्थायी कानून अधिकारियों को अचानक हटाने के संबंध में अवमानना मामले को दोबारा शुरू की मांग की गई है. याचिका में दावा किया गया है कि 27 सितंबर, 2019 को दिए गए हाईकोर्ट के निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इन अस्थायी नियुक्तियों को बिना परमानेंट पोस्ट बनाए समाप्त करना न्यायालय की अवमानना है.
तिहाड़ जेल के महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ जेल अधिकारियों को न्यायिक निर्देशों का पालन न करने के लिए प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है. इस याचिका वरिष्ठ वकील अमित साहनी की तरफ से दाखिल की गई, जिसमें हाईकोर्ट से अपील की गई कि दिल्ली की जेलों के लिए कानून अधिकारियों की भर्ती पूरी करने का निर्देश दिया थ. जब इन निर्देशों का निर्धारित समय के भीतर पालन नहीं किया गया, तो अवमानना कार्यवाही शुरू की गई. सुनवाई के दौरान, प्रतिवादियों ने अदालत को सूचित किया कि 16 कानून अधिकारियों की अस्थायी नियुक्ति की गई है. इस आश्वासन के आधार पर, अदालत ने 21 दिसंबर, 2021 को अवमानना मामले का निपटान कर दिया था.
हालांकि, वर्तमान याचिका में कहा गया है कि प्रारंभिक आदेश के जारी होने के पांच साल से अधिक और अवमानना मामले के बंद होने के तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद लॉ ऑफिसर के पदों को नियमित करने के लिए कोई वास्तविक कदम नहीं उठाया गया है. इसके विपरीत, अब अस्थायी नियुक्तियों को भी वापस ले लिया गया है. याचिका में 2 अप्रैल, 2025 को एनसीटी दिल्ली सरकार के महानिदेशक (कारागार) के कार्यालय द्वारा जारी एक आदेश का उल्लेख किया गया है, जिसने कानून अधिकारियों की भूमिका निभाने वाले लॉ ग्रेजुएट्स की अस्थायी नियुक्ति को भी अचानक समाप्त कर दिया है. याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह नया आदेश भी हाईकोर्ट बेंच के निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना का एक और उदाहरण है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved