नई दिल्ली। देश में महंगाई की रफ्तार को सरकार असमान्य नहीं मानती। दावा किया गया कि देश में गेहूं और चावल की कीमतों में वृद्धि सामान्य है। अगर अनाज की कीमतों में कोई असामान्य वृद्धि होती है, तो सरकार बाजार में हस्तक्षेप करेगी। केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि सरकारी गोदामों में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक है। गेहूं-चावल किसी भी चीज की कमी नहीं है। जरूरत पड़ने पर इसे बाजार में उतारा जाएगा। प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमतें सामान्य से ऊपर नहीं है। इसे असामान्य नहीं कहा जा सकता है।
खाद्य सचिव ने कहा कि गेहूं की थोक कीमत 14 अक्तूबर 2021 को 2,331 रुपये प्रति क्विंटल थी। इससे पहले 2020 में इसी दिन यह कीमत 2,474 रुपये प्रति क्विंटल थी। इसलिए पिछले साल से चालू वर्ष में गेहूं कीमतों में हुई वृद्धि की तुलना करना उचित नहीं है। इसकी तुलना 2020 में प्रचलित कीमतों के साथ की जानी चाहिए। 2020 के मुकाबले इस साल 14 अक्तूबर को थोक गेहूं की कीमतों में 11.42 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 2,757 रुपये प्रति क्विंटल रही। खुदरा गेहूं की कीमतों में 12.01 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 31.06 रुपये प्रति किलोग्राम रही।
खाद्य सचिव ने कहा कि यह वृद्धि न्यूनतम समर्थन मूल्य, ईंधन और परिवहन और अन्य खर्चों में वृद्धि के हिसाब से ही है। अभी चिंता की कोई बात नहीं है। सरकार के पास अपने गोदामों में गेहूं और चावल दोनों का संतोषजनक भंडार है। इसका कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए सरकार की ओर से जरुरत के मुकाबले अधिक खरीद किया जाना है।
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अध्यक्ष अशोक केके मीणा ने कहा कि सरकार के पास एक अक्तूबर तक 205 लाख टन के बफर मानदंड के मुकाबले गेहूं का भंडार 227 लाख टन था। वहीं, 103 लाख टन के बफर मानदंड के मुकाबले चावल का स्टॉक 205 लाख टन था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और अन्य कल्याणकारी आवश्यकताओं के लिए मुफ्त अनाज की आपूर्ति के बाद भी एक अप्रैल 2023 तक गेहूं और चावल का अनुमानित स्टॉक सामान्य बफर मानदंडों से बहुत अधिक होगा।
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