नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति नियामक बोर्ड (SEBI) ने भारत में म्यूचुअल फंड्स के संगठन को निर्देश दिया है कि कोई भी म्यूचुअल फंड हाउस बंडल्ड इंश्योरेंस प्रोडक्ट नहीं बेचेगा. सेबी ने संगठन को यह सूचना सभी एमएफ प्रोवाइडर्स तक पहुंचाने को कहा है. बंडल प्रोडक्ट्स नहीं बेचने से तात्पर्य है कि कोई म्यूचुअल फंड योजना के साथ कोई और प्रोडक्ट या बेनेफिट नहीं बेचा जाएगा. गौरतलब है कि म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेशकों से लंबी अवधि का निवेश कराने के लिए इंश्योरेंस दे रही थीं.
एक दशक से अधिक समय से म्यूचुअल फंड हाउस सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के साथ बंडल इंश्योरेंस की पेशकश कर रहे हैं. म्यूचुअल फंड निवेश में रिटर्न जमा राशि और अवधि पर निर्भर करता है. ऐसे में कई फंड हाउस लुभावने बंडल प्रोडक्ट्स के बदले फंड की अवधि में बदलाव करते हैं. फंड उन्हीं लोगों को ये अतिरिक्त बेनेफिट देते हैं जो अवधि बदलाव वाली शर्त को मानते हैं. आमतौर पर 3 साल में जमा राशि एसआईपी अमाउंट का 100 से 120 अधिक हो जाती है.
कुछ फंड टारगेट सम एश्योर्ड राशि की पेशकश करते थे जो डेथ बेनेफिट को कम कर देता था. ज्यादातर मामलों में, इक्विटी और हाइब्रिड योजनाओं में लगी एसआईपी इंश्योरेंस बेनेफिट के पात्र होते थे. हालांकि, यह इंश्योरेंस निवेशक की 55 साल की उम्र, एसआईपी मेच्योरिटी या एसआईपी कैंसल होने पर खत्म हो जाएगा. कई मामलों में तो इंश्योरेंस एसआईपी शुरू करने के तुरंत बाद ही लागू हो जाता था. लेकिन अगर एसआईपी शुरू करने के 2 साल के अंदर कोई निवेशक आत्महत्या कर लेता है तो इंश्योरेंस लागू नहीं होता था. जीवन बीमा प्रदान करने की लागत परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां वहन करती थीं.
निप्पोन इंडिया, एक्सिस, डीएसपी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, आदित्य बिड़ला ग्रुप, सनलाइफ, पीजीआईएम ने एसआईपी के साथ बीमा पॉलिसी ऑफर की थी. हालांकि, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने अब यह स्कीम बंद कर दी है. अभी तक यह साफ नहीं है कि क्या म्यूचुअल फंड कंपनियों को यह सेवा उन लोगों के लिए भी बंद करनी होगी जिन्हें इस आदेश से पहले दी जा चुकी है. बता दें कि आदेश 17 जून को जारी हुआ था.
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