– डॉ. वेदप्रताप वैदिक
हरियाणा के एक गांव उटावड में ग्राम महापंचायत ने बड़े कमाल के फैसले लिये हैं। ग्रामीणों की इस महापंचायत ने यह घोषणा की है कि जो कोई भी गोहत्या करेगा, उस पर 51000 रु. का जुर्माना ठोक दिया जाएगा और उसका सामाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा। गोहत्या पर कानूनन सजा तो मिलती ही है, जुर्माना भी लाखों में होता है लेकिन यदि कोई पंचायत यह निर्णय करती है तो इसे अदालत के मुकाबले ज्यादा आसानी से लागू किया जा सकता है।
जिन अपराधों या अतियों पर कानूनी बंदिशें नहीं हैं, उन्हें करने पर भी इस पंचायत ने सजा के प्रावधान किए हैं। जैसे उस गांव के किसी भी होटल में मांसाहारी भोजन बनाने पर भी प्रतिबंध होगा। सिर्फ चिकन बनाने की अनुमति होगी। यदि कोई बड़े जानवर का मांस बेचेगा या जोर से गाने बजाएगा या शराब पीकर गांव में घूमेगा तो उस पर भी हजारों रु. का जुर्माना किया जाएगा।
सबसे अनूठा नियम इस महापंचायत ने यह जारी किया है कि विवाह-समारोहों में दहेज का दिखावा नहीं किया जाएगा और शादियों में 52 बरातियों से ज्यादा नहीं आ सकेंगे। यों तो दहेज मांगने पर सजा का प्रावधान कानून में है लेकिन देश में बहुत कम शादियां बिना दहेज के होती हैं। फिर भी यदि उसके दिखावे पर प्रतिबंध होगा तो वह लेने-देनेवालों को कुछ हद तक हतोत्साहित जरूर करेगा। वास्तव में इस महापंचायत को चाहिए था कि वह गांव के सभी अविवाहित युवक-युवतियों से दहेज-विरोधी प्रतिज्ञा करवाती। उसने जुए और सट्टे पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
ऐसा लगता है कि इस महापंचायत के सदस्य पलवल के इस गांव को भारत का आदर्श ग्राम बनाना चाहते हैं। सबसे मजेदार बात यह है कि इन निर्णयों का जो लोग भी उल्लंघन करेंगे, उनका सुराग देनेवालों को पंचायत 5100 रु. का पुरस्कार देगी। अगर पंचायत अपने ये सब जबर्दस्त फैसले लागू कर सके तो उसके क्या कहने लेकिन उसमें कई कानूनी अड़चनें भी आ सकती हैं।
ये फैसले तो सराहनीय हैं लेकिन जुर्माने वगैरह से भी ज्यादा कारगर होते हैं- संस्कार। यदि गांवों और शहरों में बचपन से ही इन बुराइयों के विरुद्ध संस्कार मिल जाएं तो इतने सख्त नियमों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। उटावड को आदर्श ग्राम बनाने की इस महापंचायत के अध्यक्ष कोई रोहतास जैन हैं तो उनका समर्थन करनेवाले पूर्व सरपंच अख्तर हुसैन, मकसूद अहम और आस मुहम्मद हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने स्तंभकार हैं।)
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