भोपाल। प्रदेश में कोयला के कृतिम संकट से गहराए बिजली संकट को विदेश कोयले से खत्म किया जाएगा। विदेशी कोयला सप्लाईके लिए मप्र की बिजली कंपनियों ने टेंडर जारी दिए हैं। जिसमें अडानी समेत तीन कंपनियों ने हिस्सा लिया है। मप्र को कोयला सप्लाई का काम अडानी कंपनी को मिलने की पूरी संभावना है। कोयला सप्लाई के लिए बिजली कंपनी ने 7.5 लाख टन कोयला आपूर्ति को टेंडर निकाला है। जिसे बढ़ाकर 15 लाख टन किया जाएगा। इससे सरकार पर 2 हजार करोड़ का भार आएगा। इसकी भरपाई बिजली बिलों की कीमतें 25 से 30 पैसा प्रति यूनिट बढ़ाकर की जाएगी।
जनता पर आएगा अतिरिक्त भार
बिजली उत्पादन के लिए इस अतिरिक्त भार को बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर ही डालेगी। विशेषज्ञों का दावा है कि करीब एक रुपये प्रति यूनिट बिजली के दाम में अतिरिक्त बढ़ोतरी होगी। हालांकि ऊर्जा सचिव संजय दुबे ने पहले ही माना था कि विदेश से कोयला लाने में 25-30 पैसे प्रति यूनिट का मामूली इजाफा ही होगा।
देशी के साथ 10 प्रतिशत विदेशी कोयला
मप्र पावर जनरेशन कंपनी रबी सीजन के लिए पांच माह पहले ही कोयले की खरीदी की जा रही है। कंपनी प्रबंधन ने जरुरत के चार फीसद करीब 7.50 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदी का टेंडर निकाला है। इसकी अनुमानित लागत 15 से 18 हजार रुपये प्रति टन होगी। जबकि भारतीय कोयला 3500 – 4000 हजार रुपये प्रति टन मिलता है। विदेशी कोयले को बिजली ताप गृह में 90 प्रतिशत देशी तो 10 प्रतिशत विदेशी कोयला उपयोग किया जाएगा।
विदेशी कोयला क्यों
सामान्यतौर पर इंडोनेशिया,अस्ट्रेलिया और अफ्रीकी देशों से कोयला आयात होता है। इसकी गुणवत्ता का आकलन उससे पैदा होने वाली ऊर्जा से होता है। जितना बेहतर कोयला उतनी अधिक ऊर्जा पैदा करता है। गुणवत्ता वाले कोयले में राख कम बनती है। कंपनी का दावा है कि रबी सीजन में 17 हजार मेगावाट तक बिजली की मांग होगी इस वजह से बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
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