इंदौर। कच्ची चि_ियों और डायरी के माध्यम से सौदा कर रजिस्ट्री करने वालों पर प्रशासन का डंडा चला तो रजिस्ट्रार कार्यालय में भी अवैध रजिस्ट्री करने वालों की संख्या कम हो गई। अचानक ही कार्यालय में 6 फीसदी पंजीयन की कमी देखी गई है। हर दिन लगभग 50 रजिस्ट्री कम हो रही हैं।
इंदौर जिले के गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को ठगी से बचाने के लिए जिला प्रशासन ने आवेदनों के आधार पर कार्रवाई करना शुरू किया है, जिसके नतीजे सामने आने लगे हैं। मुख्य मार्ग पर लुभावने वादे कर शिकार बनाने वाले ब्रोकर जहां गायब हैं, वहीं पंजीयन कार्यालय में भी रजिस्ट्रियों की संख्या कम दर्ज हो रही है। इस माह दस्तावेज पंजीयन करने वाले कार्यालय में आवेदकों की कमी देखी गई है, जिसे अधिकारी चलाई जा रही मुहिम का असर बता रहे हैं। मुख्य रजिस्ट्रार दीपक शर्मा के अनुसार इंदौर के चारों कार्यालय में हर दिन लगभग 11 रजिस्ट्रियां कम दर्ज हो रही हैं। इस हिसाब से इंदौर जिले में कुल 11 फीसदी रजिस्ट्री कम हो रही हैं, जिसकी मुख्य वजह बाजार में पैसे की कमी व राजनीतिक समीकरण बताया जा रहा है, लेकिन विभाग के अनुमान के आधार पर 6 प्रतिशत कमी कॉलोनियों पर कार्रवाई की वजह से है।
खेतों के टुकड़े कर बेचने वाले गायब
इंदौर जिले में अब तक 10240 दस्तावेज पंजीयन किए गए हैं, जिससे 470 करोड़ की आय विभाग को हुई है, जबकि पिछले वर्ष इन्हीं महीने में 11540 दस्तावेज दर्ज हुए थे। इस महीने हर दिन 50 रजिस्ट्रियां कम हो गई हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार खेतों के टुकड़े कर बेचने वालों की कमी देखी जा रही है। वहीं कच्ची जमीन बेचने वाले भी अब दस्तावेज रजिस्टर्ड करने नहीं पहुंच रहे हैं। हाल ही में प्रशासन ने चार कॉलोनी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया है, जिससे अवैध कॉलोनाइजरों की रीढ़ की हड्डी पर प्रहार हुआ है। अब डर ने इस गोरखधंधे पर रोक लगा दी है। हालांकि प्रशासन ने 50 कॉलोनियों की सूची और तैयार कर रखी है, जिन्हें सुनवाई का मौका दिया गया है। वाजिब कारण सामने न आने पर इन पर भी प्रकरण दर्ज किए जाएंगे।
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