इस्लामाबाद (Islamabad)। पाकिस्तान (Pakistan) इस समय बदहाल कंगाली (poor pauper) के दौर से गुजर रहा है। यहां लोगों को खाने पीने की जीजों के लिए मुंहताज होना पड़ रहा है। खाद्य वस्तुओं की भारी कमी देखने को मिल रही है। यहां दंगे जैसे हालात बन रहे हैं। बाग और मुजफ्फराबाद (Muzaffarabad) सहित कई क्षेत्रों को आटे की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। लोग इस्लामाबाद (Islamabad) और पीओके सरकार को खाने की भारी कमी के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
दूसरी ओर अब पाकिस्तान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर निगरानी रखने वाली संस्था ने देश में टीवी चैनलों पर भारतीय सामग्री प्रसारित करने वाले केबल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। निगरानी संस्था ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पीईएमआरए) ने चार केबल संचालकों पर भारतीय सामग्री का प्रसारण करने पर छापेमारी की।
बयान में कहा गया कि कराची में केबल संचालकों- शारजाह केबल नेटवर्क, कराची केबल सर्विसेज, न्यू सैटेलाइट कम्युनिकेशन और स्टार डिजिटल केबल नेटवर्क पर छापेमारी की गई। इसमें कहा गया कि छापेमारी के दौरान नियामक संस्था ने अवैध उपकरण जब्त किए और नियमों का उल्लंघन करने वालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
सरकार है जिम्मेदार
इस निराशाजनक हालात ने अराजकता की स्थिति पैदा कर दी है। पिछले कुछ दिनों में इस क्षेत्र में लोगों के बीच झड़पें भी देखी गई हैं। स्थानीय लोगों ने इस स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। मुजफ्फराबाद में एक प्रदर्शनकारी ने कहा जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तब तक हम विरोध करते रहेंगे। इस विरोध का दायरा भी बढ़ सकता है, ये एक जिले से दूसरे जिले में जा सकता है। हम पूरे पीओके में विरोध कर सकते हैं।
अगर गरीब लोग रोटी के लिए तरसते हैं तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। ये सरकार की जिम्मेदारी है। कुछ लोगों ने कहा कि पीओके में लोगों के भोजन का मुख्य हिस्सा गेहूं है और उन्हें इस मुख्य भोजन से वंचित करने के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि ये उनकी बुनियादी जरूरतों और उनके जीवन स्तर को प्रभावित करने वाली परेशानी है।
‘हम भी मजबूर हैं’
एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, “आवश्यक सामान आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं और हम मजबूर हैं। सरकार हमारी मदद नहीं कर रही है। इस वजह से हमें होटलों को पूरी तरह से बंद करना पड़ा है। हमें अपनी आपूर्ति पूरी तरह से नहीं मिल रही है, हम भी मजबूर हैं। आटा और घी की कीमत बहुत अधिक है और आसमान छूती कीमतों से जूझने के बजाय, हमने होटलों को बंद करना बेहतर समझा।” पीओके में लोग सात दशकों से अधिक समय से भेदभाव का शिकार हो रहे हैं और स्थिति आज भी वैसी ही बनी हुई है।
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