नरसिंहपुर। जिले में एक बार फिर एक बार सांसद पुत्र का निजी अस्पताल सुर्खियों में है, आरोप हैं कि अस्पताल में मरीज को जिंदा बताकर उसका ईलाज किया गया, जबकि उसकी मौत हो चुकी थी। वहीं जब परिजनों ने मरीज को किसी और जगह ले जाने की बात कही तब अस्पताल के कर्मचारी अभद्रता व गुंडागर्दी पर उतारू हो गए। यह कोई पहला मामला नहीं है जब अस्पताल पर इस तरह के आरोप लगे हैं इसके पहले भी परेशान हाल अपनी आप बीती सुना चुके हैं। आपको बता दें कि यह अस्पताल सांसद राव उदय प्रताप के पुत्र राव अमन प्रताप सिंह का है, इस अस्पताल का उदघाटन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों हुआ था।
पैसे वसूलते गए
निजी अस्पताल द्वारा मृत शरीर के ईलाज के नाम पर नाम पर लूट का आरोप मरीज के परिजनों ने लगाते हुए कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसमें बताया गया कि मैं संजय चादौरिया पिता स्व. देवी सिंह चादौरिया निवासी गांधी वार्ड गोटेगांव तहसील गोटेगांव जिला नरसिंहपुर का निवासी हूँ। दिनांक 26 अगस्त 2022 दिन शुक्रवार को मेरी छोटी बहन रविता सिलावट को पेट में तकलीफ हुई तब रात्रि लगभग 03:00 बजे नरसिंहपुर निजी अस्पताल लक्ष्मी नारायण मेमोरियल हास्पिटल छिंदवाडा बाईपास जिला नरसिंहपुर में फर्ती करवाया। दो घंटे भर्ती के बाद डाक्टर राव अमन प्रताप सिंह के द्वारा बोला गया कि ज्यादा कुछ तबियत खराब नहीं हैं मरीज ठीक हो जायेगी और हम से पैसे वसूलते गये।
नागरिकों की भी जायज चिंताएं
सवाल तो यह है कि छोटी सी छोटी शिकायत या सूचना पर ततकाल कार्रवाई करने वाला प्रशासन इस मामले में मौन साधे बैठा रहा, अस्पताल में मरीज के परिजनों के साथ अभद्रता गाली-गलौज होती रही और पुलिस देखती रही। इतना हंगामा होता रहा लेकिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इस बात से बेखबर रहे और जब इन हालातों में लक्ष्मीनारायण अस्पताल से सन्दिग्ध अवस्था में मरीज को जिला अस्पताल ले जाया गया तब हालात को देखते हुए मरीज के शव को पोस्टमार्टम हेतु क्यों नहीं रोका गया। क्या यह सब सामान्य बात है या फिर इसके पीछे शातिर दिमाग का इस्तेमाल किया गया है इसकी जाँच होना आवश्यक है क्योंकि यह अस्पताल लगातार सुर्खियों में है। नागरिक भी इस तरह की घटनाओं से चिंतित हैं उनका मानना है कि उक्त मामले में एक टीम बनाई जाई जो तकनीकी बिंदुओं के अलावा नियम कायदों की भी बेहतर तरीके से सूक्ष्म जाँच कर सके क्योंकि अस्पताल संचालन के लिए जिन नियमों का पालन होना चाहिए उनके पालन न होने की भी जानकारी सूत्रों द्वारा बताई जा रही है।
नहीं चल रही थीं साँसे
लिखित शिकायत में बताया गया है कि कुछ घंटो के ईलाज के बाद समय लगभग 11:00 बजे डाक्टर के द्वारा बोला गया की रविता की तबियत ज्यादा खराब हो रही है। उसको वेन्टीलेटर पर रखना पडेगा, डाक्टरों के द्वारा मेरी बहन को वेन्टीलेटर पर रख दिया गया। मेरे सभी परिवार के सदस्य अस्पताल पहुंच गये और डाक्टर्स के कहने पर हम लोग दवाइयां लाते रहे, कुछ समय बाद लगभग दोपहर 02:00 बजे मेरे चाचा की पुत्री शिवानी सिलावट रविता को देखने कमरे में गई और उसके साथ मेरे चाचा सरमन चादौरिया भी साथ मे गए तब इन लोगों ने देखा की रविता कोई भी हरकत नही कर रही थी न ही उसकी साँसे चल रही थी। ड्यूटी डाक्टर के द्वारा मेरे चाचा और उनकी पुत्री को बाहर निकाल दिया गया डाक्टर अमन प्रताप के द्वारा बोला गया कि आप जल्द से जल्द दवाइयां और प्लाज्मा लेकर आओ तभी तुम्हारी बहन की जान बच पायेगी मैंने लागभग 25,000 रुपए की दवाइयां तुरन्त ले कर दी और प्लाज्मा लेने के लिये जबलपुर निकल गया।
अस्पताल में हुआ हंगामा
हमें क्या मालूम था कि हमारी बहन की मृत्यु पहले ही हो चुकी है परन्तु फिर भी डाक्टर लोग यहाँ वहाँ घुमा रहे हैं। तब चाचा की पुत्री शिवानी ने डाक्टर से रविता को देखने के लिये बोला तो डाक्टर ने मना कर दिया। इस बीच अस्पताल के कर्मचारियों ने गुंडागर्दी करते हुए अभद्रता भी कि और अपशब्द भी कहे। उसके बाद डाक्टर से शिवानी की बहस होने लगी तब शिवानी ने नजदीकी थाने की पुलिस बुलवाई, तब जाकर प्रबंधन ने बोला कि तुम्हारी बहन का डिस्चार्ज बना दिया है, तुम लोग बाकी 12,700 रूपए जमा करो और अपनी बहन को ले जाओ। शिवानी बताती है कि डिस्चार्ज करते समय भी डॉक्टर यही झूठ बोलते रहे कि आपका मरीज जिंदा है। पूरे घटनाक्रम पर पीड़ित परिवार ने आपबीती का वर्णन करते हुए शासन प्रशासन से लक्ष्मीनारायण मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ जाँच कर कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
क्या है मामला
मामला नरसिंहपुर जिले के छिंदवाड़ा बाईपास रोड पर स्थित निजी लक्ष्मी नारायण मेमोरियल हॉस्पिटल का है। यहां रात को गोटेगांव निवासी रविता सिलावट को पेट दर्द की तकलीफ के चलते भर्ती कराया गया। परिजनों का आरोप है कि उनके मरीज की मौत हो जाने के बाद भी रुपए ऐंठने के लिए डॉक्टर उनका ईलाज करते रहे। परिजनों ने इस बात लिखित शिकायत जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और स्वास्थ्य मंत्री से की है। उनका आरोप है की जिला अस्पताल नरसिंहपुर से हम अच्छे इलाज के लिए अपने मरीज को लक्ष्मी नारायण मेमोरियल हॉस्पिटल लाए थे, जहां डॉक्टरों के कहने पर अच्छी हालत में हमने मरीज को भर्ती किया था पर रात भर में हजारों रुपयों की दवाइयों का बिल हमें थमाया गया और सुबह अचानक हमें बताया गया कि आप के मरीज की हालत गम्भीर है और मरीज को किसी और जगह ले जाने से इनकार कर दिया। अस्पताल प्रबंधन का कहना था की शेष राशि दीजिए तभी महिला को आप ले जा सकते हैं। मरीज को न दिये जाने को लेकर अस्पताल में परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया मौके पर स्टेशन गंज पुलिस ने आकर मामले को संभाला, बाद में परिजन महिला को शासकीय जिला अस्पताल ले गए जहां डॉक्टर ने यह पुष्टि करते हुए कहा कि आपके मरीज की मौत हो चुकी है।
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