रायपुर। निलंबित एडीजी जीपी सिंह पर सीबीआई के पूर्व जज प्रभाकर ग्वाल (Former CBI Judge Prabhakar Gwal) ने मीडिया से बात करते हुए बड़ा खुलासा किया है कि बिलासपुर एसपी राहुल शर्मा की मौत के मामले पर साक्ष्य छिपाया (Evidence hidden on the death of Bilaspur SP Rahul Sharma) गया।जिसने भी साक्ष्य को छिपाया है उसे बचाने का प्रयास किया गया है ।12 मार्च 2012,को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के एसपी आई पी एस राहुल शर्मा का शव ऑफिसर मेस में मिला था। इस केस में पुलिस ने एक सुसाइड नोट बरामद किया था।
राहुल शर्मा मामले में मिले सुसाइड नोट के पहले पैरा में लिखा था- आई एम जस्ट सिक एंड फ्रेड ऑफ द लाइफ। सच एज इंटरफिएरिंग बॉस, सच एज एरोगेंट एंड हाटी जज, दी बोथ है रूड माई पीस ऑफ माइंड, डिस्टर्बिंग माय फैमिली,आई चूज डैथ ओवर डिसग्रेस एंड ह्यूमिलेशन.।
एसपी राहुल शर्मा ने कथित तौर परअपनी सर्विस रिवाल्वर से सिर में गोली मार ली थी। प्रकरण में तत्कालीन आईजी जीपी सिंह पर प्रताड़ना के आरोप लगे थे ।तब बताया गया था कि राहुल पारिवारिक वजहों से तनाव में थे। ऑफिसर्स मेस में भोजन के समय जब गनमैन उनके कमरे में पहुंचा तो शव पड़ा था।उसमें उन्होंने अपने बॉस द्वारा परेशान किए जाने की बात लिखी थी। जीपी सिंह तब बिलासपुर के आईजी थे।
सीबीआई के पूर्व जज प्रभाकर ग्वाल ने इस पूरे मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जैसे ही गंभीर व वीभत्स मृत्यु की कोई घटना हुई हो या होती हो , प्रथम दृष्टया हत्या का मामला दर्ज कर विवेचना होनी चाहिए ।उन्होंने कहा कि किसी अपराध के अन्वेषण, और जांच की कार्रवाई पर रोक लगाने को किसी भी न्यायालय को कोई अधिकार नहीं है । यदि कोई भी अन्वेषण और जांच पर रोक लगाई जाती है, तो संबंधित रोक लगाने वाले साक्ष्य छुपाने में सहयोग करने की दोषी हो सकते हैं ? उन्होंने कहा कि दिवंगत राहुल शर्मा की हत्या ठीक दिल्ली के आरूषी तलवार हत्याकांड जैसी है ।
आई पी एस राहुल शर्मा के मृत्यु जिस पुलिस मेस में हुई उस परिसर के सभी व्यक्तियों का साक्ष्य संग्रह नहीं किया गया, फिर राहुल शर्मा के साथ मृत्यु के पहले करीब 7 दिन तक जितने भी संदेही गुजरे, सभी का कथन दर्ज किया जाना जरूरी है । उन्होंने कहा कि राहुल शर्मा की कथित हत्या के बाद नाकेबंदी हुई थी, पर कुछ पुलिस अधिकारी को छिपाकर बिलासपुर से बाहर भेजा गया है जिसके बारे में आज तक की विवेचना मौन है ।
प्रभाकर ग्वाल ने कहा कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता साथ राहुल शर्मा के हत्या के लिए समुचित कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे है । उन्होंने कहा कि मैं स्वयं व्यक्तिगत रूप से इस प्रकरण में कोई भी कानूनी कार्रवाई मेरे नाम से विधिक रूप से नहीं कर सकता हूं क्योंकि मेरे द्वारा न्यायिक अधिकारी रहते हुए जांच कार्रवाई की जा रही थी ।उन्होंने आगे कहा कि जीपी सिंह के साथ कुछ और अफसर भी इस केस में शामिल थे उन्हें भी बचाया जा रहा है क्योंकि राहुल शर्मा की मौत अकेले जीपी सिंह के बस की बात नहीं। ग्वाल, साल 2012 के जुलाई से सितंबर महीने तक ही इस केस की जांच का हिस्सा रहे फिर उन्हें हटा दिया गया था।
पूर्व मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने कहा कि इस केस में राहुल शर्मा का लैपटॉप अब तक गायब है। वो लैपटॉप में कई तरह के दस्तावेज और जरूरी जानकारियां रखते थे। आज तक उनकी कॉल डीटेल सामने नहीं आ सकी। इस केस में सबूत छुपाने के प्रयास किए गए हैं। (एजेंसी, हि.स.)
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