इंदौर। महापौर के निर्देश (Mayor’s instructions) पर जहां एक हजार स्क्वेयर फीट तक के आवासीय नक्शे आवेदन प्राप्ति के 72 घंटे की समय सीमा में फिलहाल मंजूर हो रहे हैं। अभी ऐसे 22 नक्शों को तय समय सीमा में मंजूरी दी गई है। दूसरी तरफ राजस्व बढ़ाने के लिए जो जीपीएस सर्वे (GPS survey) करवाया गया उसमें जो लगभग एक लाख नई सम्पत्तियां मिली हैं उनके खाते 30 सितम्बर तक खोलने के निर्देश आयुक्त ने दिए हैं। सिटी बस ऑफिस में राजस्व वसूली की समीक्षा बैठक में आयुक्त प्रतिभा पाल के साथ अपर आयुक्त भव्या मित्तल, सभी राजस्व अधिकारी, बिल कलेक्टर, उनके सहायक और अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे। इस अवसर पर जलकर और व्यवसायिक लाइसेंस की भी झोनवार समीक्षा की गई।
नगर निगम को ढाई सौ करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान ठेकेदारों को करना है। उसकी माली हालत हालांकि बहुत अच्छी नहीं है और 700 करोड़ का जो बजट पिछले दिनों मंजूर किया था, उसमें से लगभग आधी राशि विभिन्न मदों में खर्च की जा रही है और उनके टेंडर भी बुला लिए हैं। अभी महापौर के साथ-साथ नई परिषद् भी गठित हो गई है। हालांकि महापौर परिषद् का चयन आज होना है। दूसरी तरफ शासन से भी विभिन्न मदों में निगम को करोड़ों रुपए की राशि वसूल करना है। वहीं अपनी खुद की आय बढ़ाने के भी निगम लगातार प्रयास करता रहा है। आयुक्त प्रतिभा पाल की सख्ती का ही असर है कि जहां सम्पत्ति कर, जल कर से लेकर स्वच्छता कर की वसूली अच्छी हो रही है, वहीं जीआईएस सर्वे के आधार पर भी सम्पत्ति कर की गड़बडिय़ां पकड़ी जा रही है।
कल आयुक्त ने राजस्व वसूली की समीक्षा की, जिसमें सम्पत्ति, जल कर, व्यापारिक लाइसेंस की झोनवार समीक्षा की गई और कम वसूली करने वाले राजस्व अधिकारियों, बिल कलेक्टरों को कड़े निर्देश भी जारी किए गए। शहर की सम्पत्तियों का जो जीआईएस सर्वे करवाया जा रहा है उससे सम्पत्ति की वर्तमान स्थिति, उसका साइज, उपयोग आदि की जानकारी सर्वे रिपोर्ट में मिल रही है। आयुक्त ने समीक्षा बैठक के दौरान जीआईएस सर्वे के दौरान 5 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक क्षेत्रफल की ऐसी सम्पत्तियां, जिनके द्वारा वास्तविकता से कम साइज का सम्पत्ति कर व अन्य कर जमा किए जा रहे हैं, लिहाजा ऐसी सम्पत्तियों के सर्वे के बाद मांग संशोधित कर डिमांड में परिवर्तन करने हेतु प्रकरण आगामी कार्रवाई के लिए निगम मुख्यालय को 30 सितम्बर तक भेजने के निर्देश दिए हैं। सर्वे में 2 हजार से 5 हजार स्क्वेयर फीट तक की लगभग 39267 सम्पत्तियां मिली हैं, जिनका टैक्स उनकी वास्तविक साइज से कम जमा किया जा रहा है। इसी तरह आवासीय पर व्यवसायिक उपयोग की 21571 सम्पत्तियां भी पकड़ में आई है। लगभग एक लाख सम्पत्तियों के खाते खुलना है, जिनके प्रकरण तैयार कर 30 सितम्बर तक खाते खोलकर निगम मुख्यालय में जानकारी भेजने को आयुक्त ने कहा है।
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