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आचार्य चाणक्य के अनुसार ये लोग निभाते हैं सच्‍ची मित्रता, संकट समय में नही छोड़ते अकेला

May 23, 2021


राजनीति के प्रकाण्ड पंडित आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने जीवन के हर पहलू पर कई नीतियां लिखी हैं। चाणक्य द्वारा प्राचीन काल में लिखित ये नीतियां आज के समय में भी बेहद प्रासंगिक हैं। इसमें जीवन के महत्‍वपूर्ण (Important) विषयों की ओर ध्‍यान दिलाया गया है। साथ ही व्‍यक्ति के संबंधों(relationship), उसके जीवन में आने वाले सुख-दुख समेत जीवन की अन्‍य समस्याओं का जिक्र करते हुए इनके समाधान पर भी बात की गई है।

चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है और वह अकेले ही मृत्‍यु को प्राप्‍त करता है। अपने कर्मो के शुभ-अशुभ परिणाम भी वह अकेले ही भोगता है। वह अकेले ही नरक में जाता है या सद्गति प्राप्त करता है। आप भी जानिए चाणक्य नीति की महत्‍वपूर्ण बातें।

ये ही लोग दुनिया में हैं सुखी
नीति शास्‍त्र के अनुसार वे लोग इस दुनिया में सुखी हैं, जो अपने संबंधियों के प्रति उदार हैं, अनजाने लोगों के प्रति सह्रदय हैं और अच्छे लोगों के प्रति प्रेम-भाव(Affection) रखते हैं, दुष्‍ट लोगों से धूर्तता पूर्ण व्यवहार करते है, विद्वानों से कुछ नहीं छुपाते और दुश्मनों के सामने साहस दिखाते हैं।

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जिसने नहीं दिया कोई दान
आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि अरे लोमड़ी! उसे तुरंत छोड़ दे, जिसके हाथों ने कोई दान नहीं दिया, जिसके कानों ने कोई विद्या ग्रहण नहीं की, जिसकी आंखों ने भगवान का सच्चा भक्त नहीं देखा, जिसके पांव कभी तीर्थ क्षेत्रों में नहीं गए, जिसने अधर्म के मार्ग से कमाए हुए धन से अपना पेट भरा और जिसने बिना मतलब ही अपना सर ऊचा उठा रखा है। अरे लोमड़ी! उसे मत खा, नहीं तो तू दूषित हो जाएगी।

व्‍यक्ति खुद भोगता है अपना किया
नीति शास्‍त्र के अनुसार व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है। वह अकेले ही मृत्‍यु को प्राप्‍त करता है। अपने कर्मो के शुभ अशुभ परिणाम भी वह अकेले ही भोगता है। वह अकेले ही नरक में जाता है या सदगति प्राप्त करता है।

पुण्य मृत्यु के बाद एकमात्र मित्र
आचार्य चाणक्य के अनुसार जब आप सफर पर जाते हैं, तो विद्यार्जन ही आपका मित्र होता है। इसी तरह घर में पत्नी आपकी मित्र है। ऐसे ही बीमार होने पर दवा आपकी मित्र होती है। अर्जित पुण्य मृत्यु के बाद एकमात्र मित्र है।

जिन लोगों ने नहीं की भक्ति
नीति शास्‍त्र के अनुसार कहा गया है कि धिक्कार है उन्हें जिन्हें भगवान श्री कृष्ण, जो मां यशोदा के लाडले हैं, उनके चरण कमलों में कोई भक्ति नहीं की। मृदंग की ध्वनि धिक् तम धिक् तम करके ऐसे लोगो को धिक्कार करती है।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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