उज्जैन। मक्सी रोड स्थित जागृति नशा मुेक्ति केंद्र पर सालों से नशे के आदी हो चुके लोगों का उपचार किया जा रहा है। इसके लिए संस्था को सामाजिक न्याय मंत्रालय से हर साल अनुदान मिलता था। पिछले दो साल से मंत्रालय ने यह राशि देना बंद कर दी है। इसके चलते यहां भर्ती कर मरीजों का उपचार बंद कर दिया गया है। संस्था में कार्यरत कई कर्मचारी भी दो साल से वेतन नहीं मिलने के कारण काम छोड़ चुके हैं।
केंद्र तथा राज्य सरकारें देश-प्रदेश में नशा मुक्ति के बड़े-बड़े दावे करते हैं। बच्चों से लेकर युवाओं तक को नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरुक करने के लिए कार्यक्रम और शिविर लगाए जाते हैं। पुलिस विभाग भी समय-समय पर इसके लिए जागरुकता अभियान चलाता है। लेकिन पिछले दो साल से शहर के एकमात्र नशा मुक्ति केंद्र को अनुदान का ग्रहण लग गया है। मक्सी रोड पर जागृति नशा मुक्ति केंद्र है। यहां वर्षों से नशे के आदी हो चुके लोग उपचार के लिए आते हैं। इसके लिए यहां डॉक्टर सहित 8 से 10 लोगों का स्टाफ काम करता है। सेंटर पर ओपीडी के साथ-साथ 10 बेड पर गंभीर नशे के मरीजों को भर्ती कर उपचार की व्यवस्था है। यहां भर्ती मरीजों को उपचार, देखरेख के साथ-साथ भोजन की भी नि:शुल्क व्यवस्था दो साल पहले तक थी। इसके लिए सेंटर को सामाजिन न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से हर साल 10 से 11 लाख तक अनुदान राशि मिलती थी, लेकिन दो साल से मंत्रालय से यह राशि आना बंद हो गई है। मजबूरी में संस्था ने यहां नशे के मरीजों को भर्ती कर उपचार करना बंद कर दिया है। केवल सोमवार के दिन एक डॉक्टर द्वारा यहां मरीजों के स्वास्थ्य परीक्षण और दवा वितरण की व्यवस्था ओपीडी के जरिए की जा रही है। वेतन नहीं मिलने के कारण यहां कार्यरत कुछ कर्मचारियों ने भी आना बंद कर दिया है और आजीविका के लिए अन्य कार्य मजबूरी में कर रहे हैं।
कोरोना के पहले 11 भर्तीे, अब नहीं
जागृति नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी विनोद दवे ने बताया कि कोरोना महामारी के पूर्व दो साल पहले साल 2020 में जागृति नशा मुक्ति केंद्र के वार्ड में 11 मरीज भर्ती थे। उस वर्ष ओपीडी में भी शराब, अफीम, गांजा, चरस और स्मैक आदि की लत के 61 मरीजों का ओपीडी में उपचार किया गया था। इसके बाद अनुदान नहीं मिलने के कारण मरीजों की भर्ती बंद करना पड़ी। अब केवल प्रत्येक सोमवार को ओपीडी में एक डॉक्टर परीक्षण के लिए बैठ रहे हैं और दवा वितरण किया जा रहा है।
इस साल 30 नए नशेड़ी मरीज आए
उन्होंने बताया कि सप्ताह में एक दिन संचालित हो रही ओपीडी सेवा में इस साल 1 अप्रैल से लेकर 5 अक्टूबर तक 30 नए नशे के आदी मरीज उपचार के लिए आए हैं। इनमें से 3 मरीज तराना से चार दिन पहले ही उपचार के लिए आए। यह तीनों मरीज अफीम का सेवन करने के आदी हो चुके हैं और अब छुटकारा चाहते हैं। कुछ स्टाफकर्मियों के साथ जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है।
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