मुंबई। नोटबंदी के छह साल और डिजिटल भुगतान में तेजी के बावजूद देश में आम लोगों के पास कुल नकदी 13.18 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई है। भ्रष्टाचार व कालाधन पर रोक लगाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, 4 नवंबर, 2016 के पखवाड़े में अर्थव्यवस्था में 17.7 लाख करोड़ रुपये की नकदी थी। 21 अक्तूबर, 2022 को यह बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। यानी छह साल में नकदी 71.84 फीसदी बढ़ गई।
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोनाकाल से ही भुगतान के नए व सुविधाजनक डिजिटल विकल्पों की लोकप्रियता बढ़ी है। हाल के वर्षों में मूल्य व संख्या के लिहाज से भले ही डिजिटल भुगतान बढ़ा, लेकिन आर्थिक सुधार के साथ प्रणाली में जीडीपी के अनुपात में नकदी में भी तेजी आई है।
डिजिटल भुगतान पारंपरिक रूप से ही कम
रिपोर्ट के अनुसार, जीडीपी के अनुपात में डिजिटल भुगतान का बढ़ना इस बात का संकेत नहीं है कि नकदी घटी है। नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। हालांकि, जीडीपी के अनुपात में डिजिटल भुगतान पारंपरिक रूप से कम है।
लेकिन, दिवाली पर नकदी का चलन 20 साल में सबसे कम
इस वर्ष दिवाली वाले सप्ताह में नकदी के चलन में 7,600 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई। बीस साल में ऐसा पहली बार हुआ। 2009 में इस दौरान 950 करोड़ की गिरावट हुई थी। तब प्रमुख वजह आर्थिक मंदी थी। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का दावा है, डिजिटल भुगतान बढ़ने से ऐसा हुआ।
भारतीय अर्थव्यवस्था संरचनात्मक बदलाव से गुजर रही है। अर्थशास्त्रियों का कहना है, तकनीकी नवाचारों ने भारतीय भुगतान प्रणाली को बदल दिया है। अर्थव्यवस्था अब नकदी आधारित नहीं, बल्कि स्मार्टफोन आधारित है।
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