जयपुर । भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने शुक्रवार को उस काले आदेश (Black Order) को वापस ले लिया है (Withdraws) जो कथित तौर पर भ्रष्टाचारियों के हक में निकाला गया था (Allegedly Passed in Favor of Corrupt) । एसीबी के कार्यवाहक महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने एक लाइन का आदेश जारी किया है जिसमें लिखा है कि 4 जनवरी को जारी आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है।
दरअसल इस आदेश में रिश्वत लेते पकड़े जाने वालों के नाम व पते सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी गई थी। इससे बड़ी कंट्रोवर्सी खड़ी हो गई थी। भाजपा ने कांग्रेस पर हमले किए । सरकार में ही मंत्रियों में मतभेद सामने आए। आखिर एसीबी ने इस आदेश को वापस लेने का नया आदेश जारी कर ही दिया है। एसीबी के कार्यवाहक महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने खास खबर डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि पहले भी विभाग का इंटर आदेश जारी हुआ था, दुबारा भी इंटरनल आदेश जारी किया गया है। 4 जनवरी को जारी आदेश वापस ले लिया है। इसमें किसी प्रकार का सरकार या किसी और का कोई दबाव नहीं था। बहरहाल अब रिश्वत लेते पकड़े जाने वाले भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों के फोटो व नाम को छपने से नहीं रोका जा सकेगा।
आपको बता दें कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गत 4 जनवरी को जो आदेश जारी किया था, उसके मुताबिक रिश्वत लेते पकड़े जाने वालों का मीडिया को न नाम बताया जाएगा और न ही फोटो लेने देंगे। इस पर प्रदेश में बड़ी कंट्रोवर्सी खड़ी हो गई थी। एसीबी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का हवाला दिया था, लेकिन सीनियर एडवोकेट पूनम भंडारी समेत अन्य एक्सपर्ट ने भी एसीबी के इस तर्क को सिरे खारिज कर दिया था।
एसीबी के रिश्वत लेने वालों के नाम व फोटो नहीं छापने के आदेश के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर जबरदस्त हमला बोला था। विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस का हाथ, भ्रष्टाचार के साथ। भाजपा अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने एसीबी के इस फैसले की कड़ी आलोचना की थी। सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी एसीबी के आदेश को गलत बताया था। इसके बाद सरकार ने आज आदेश वापस ले लिया।
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