• img-fluid

    Abul Kalam Azad Birth Anniversary: एक उत्कृष्ट वक्ता थे आज़ाद (संक्षिप्त जीवन परिचय)

  • November 09, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। हर साल की तरह इस बार भी पूरे देश में नेशनल एजुकेशन डे (National Education Day 2023) मनाया जा रहा है। यह खास दिन प्रतिवर्ष 11 नवंबर को देश के पहले एजुकेशन मिनिस्टर (Country’s first education minister) मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की बर्थ एनिवर्सरी (Birth Anniversary) को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। आजाद एक उत्कृष्ट वक्ता के रूप में जाने जाते हैं।

    भारत के प्रधानमंत्री ने देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को उनकी 134वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्ष 2008 से प्रतिवर्ष 11 नवंबर को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।


    जन्म: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जिनका मूल नाम मुहियुद्दीन अहमद था, का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। आज़ाद एक उत्कृष्ट वक्ता थे, जैसा कि उनके नाम से संकेत मिलता है- ‘अबुल कलाम’ का शाब्दिक अर्थ है ‘संवादों का देवता’ (Lord of Dialogues)।

    संक्षिप्त परिचय:
    वे एक पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद् थे।

    योगदान (स्वतंत्रता पूर्व): ये विभाजन के कट्टर विरोधी थे तथा हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे। वर्ष 1912 में उन्होंने उर्दू में अल-हिलाल नामक एक साप्ताहिक पत्रिका शुरू की, जिसने मॉर्ले-मिंटो सुधारों (1909) के बाद दो समुदायों के बीच हुए मनमुटाव को समाप्त कर हिंदू-मुस्लिम एकता को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    वर्ष 1909 के सुधारों के तहत मुसलमानों के लिये अलग निर्वाचक मंडल के प्रावधान का हिंदुओं द्वारा विरोध किया गया था। सरकार ने अल-हिलाल पत्रिका को अलगाववादी विचारों का प्रचारक माना और 1914 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर आधारित भारतीय राष्ट्रवाद और क्रांतिकारी विचारों के प्रचार के समान मिशन के साथ अल-बालाग नामक एक अन्य साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन शुरू किया।

    वर्ष 1916 में ब्रिटिश सरकार ने इस पत्र पर भी प्रतिबंध लगा दिया तथा मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को कलकत्ता से निष्कासित कर बिहार निर्वासित कर दिया गया, जहाँ से उन्हें वर्ष 1920 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद रिहा कर दिया गया था। आज़ाद ने गांधीजी द्वारा शुरू किये गए असहयोग आंदोलन (1920-22) का समर्थन किया और 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में शामिल हुए।

    वर्ष 1923 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 35 वर्ष की आयु में वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की अध्यक्षता करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए। वर्ष 1930 में मौलाना आज़ाद को गांधीजी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने तथा नमक कानून का उल्लंघन करने के लिये गिरफ्तार किया गया था। उन्हें डेढ़ साल तक मेरठ जेल में रखा गया था। वे 1940 में फिर से कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष बने और 1946 तक इस पद पर बने रहे।

    एक शिक्षाविद्:
    शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आज़ाद उदारवादी सर्वहितवाद/सार्वभौमिकता के प्रतिपादक थे, जो वास्तव में उदार मानवीय शिक्षा प्रणाली थी। शिक्षा के संदर्भ में आज़ाद की विचारधारा पूर्वी और पश्चिमी अवधारणाओं के सम्मिलन पर केंद्रित थी जिससे पूरी तरह से एकीकृत व्यक्तित्व का निर्माण हो सके। जहाँ पूर्वी अवधारणा आध्यात्मिक उत्कृष्टता एवं व्यक्तिगत मोक्ष पर आधारित थी वहीं पश्चिमी अवधारणा ने सांसारिक उपलब्धियों और सामाजिक प्रगति पर अधिक बल दिया।

    Share:

    Abul Kalam Azad Birth Anniversary: क्या आप जानते हैं देशभक्त मौलाना आज़ाद के बारे में ये 10 फैक्‍ट्स

    Thu Nov 9 , 2023
    नई दिल्ली (New Delhi)। हर साल की तरह इस बार भी पूरे देश में नेशनल एजुकेशन डे (National Education Day 2023) मनाया जा रहा है। यह खास दिन प्रतिवर्ष 11 नवंबर को देश के पहले एजुकेशन मिनिस्टर (Country’s first education minister) मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की बर्थ एनिवर्सरी (Birth Anniversary) को […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    सोमवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved