मुंबई (Mumbai) । सुबह से शाम तक और शाम से फिर सुबह तक इस्तेमाल (used) होने वाली आवश्यक वस्तुओं में से 30 फीसद तक हम नकली प्रोडक्ट यूज कर रहे हैं। यह कपड़ों एवं एफएमसीजी (दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाले) क्षेत्रों में सबसे ज्यादा नजर आता है। इसके अलावा दवा, वाहन एवं टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्रों में भी नकली उत्पादों की भरमार देखी जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में बिकने वाले करीब 25-30 फीसद उत्पाद जाली हैं।
सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया। इसके मुताबिक, परिधान क्षेत्र में करीब 31 फीसद उत्पाद नकली पाए जाते हैं जबकि रोजमर्रा के उत्पादों के मामले में यह अनुपात 28 फीसद का है। वहीं वाहन क्षेत्र के 25 फीसद उत्पाद नकली होते हैं।
क्रिसिल और ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (Authentication Solution Providers Association) की तरफ से जारी इस संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, दवा एवं औषधि (medicine and drugs) क्षेत्र के 20 फीसद उत्पाद, टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्र के 17 फीसद उत्पाद और कृषि-रसायन क्षेत्र के 16 फीसद उत्पाद नकली पाए गए हैं। इस रिपोर्ट की खास बात यह है कि 27 फीसद खरीदारों को यह पता ही नहीं होता है कि वे नकली उत्पाद खरीद रहे हैं। वहीं 31 फीसद लोग जानबूझकर नकली उत्पादों को खरीदते हैं।
इन शहरों में हुए सर्वे
इस रिपोर्ट को दिल्ली, आगरा, जालंधर, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर, कोलकाता, पटना, चेन्नई, बेंगलुरु एवं हैदराबाद शहरों में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया गया है। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के वरिष्ठ निदेशक सुरेश कृष्णमूर्ति ने रिपोर्ट के निष्कर्षों पर कहा कि नकली उत्पाद सिर्फ लग्जरी उत्पादों तक ही सीमित नहीं हैं। सामान्य उत्पादों की भी तेजी से नकल हो रही है।
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