रामपुर। यूपी चुनाव (UP Elections) सिर पर हैं, ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों (Political parties) की बयानबाजी भी सामने आने लगी है। समाजवादी पार्टी से सांसद आजम खान (Samajwadi Party MP Azam Khan) के बेटे अब्दुल्ला आजम (abdullah azam) ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि उन्हें मारने की कोशिश की जा रही है। पिछले कई दिनों से कोई मेरी गाड़ी का पीछा कर रहा है। उन्हें फर्जी मुकदमें (fake cases) में जेल भेजने की प्लानिंग हो रही है।
आजम खान ने इससे एक दिन पहले कहा था कि मुझे अपनी सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों (policemen) पर भरोसा नहीं है। क्या पता कब उन्हें बहाने से गोली मार दी जाए। उन्होंने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी के स्वार और रामपुर के प्रत्याशी (Rampur candidates) उन्हें दुर्घटना या हिंसा में मारने की प्लानिंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि प्रदेश सरकार ने सुरक्षाकर्मी उनकी रेकी करने के लिए लगाए हैं।
सलाखों के पीछे आजम खान और उनके बेटे को इस बार नामांकन खारिज होने का डर सता रहा था, लेकिन स्क्रूटनी (scrutiny) के बाद न सिर्फ आजम बल्कि उनके बेटे का भी नामांकन सही पाया गया है.इसके साथ साफ हो गया है कि दोनों विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में सपा के टिकट पर हुंकार भरेंगे। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने आजम खान को रामपुर सीट से, तो अब्दुल्ला को एक बार फिर स्वार विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है।
आपको बता दे की इस बार आजम खान जेल से चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला रामपुर के नवाब काजिम अली खान से होगा. रामपुर के नवाब को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है. यही नहीं, नवाब परिवार और आजम परिवार की काफी लंबे समय से अदावत चली आ रही है। इसके अलावा स्वार सीट पर अब्दुल्ला आजम खान का मुकाबला नवाब काजिम अली खान के बेटे और भाजपा के सहयोगी अपना दल (एस) के प्रत्याशी हैदर अली खान से होगा।
हैदर के पिता की शिकायत के बाद ही अब्दुल्ला का विधायक पद गलत बर्थ सर्टिफिकेट (birth certificate) देने के कारण चल गया था। काजिम पिछली बार बसपा (BSP) के टिकट पर स्वार से लड़े थे और उन्हें अब्दुल्ला के सामने हार का सामना करना पड़ा था। यही नहीं, आजम को रामपुर में नवाब काजिम अली खान के अलावा भाजपा के आकाश सक्सेना भी घेर रहे हैं। बता दें कि सक्सेना परिवार की आजम खान से सियासी अदावत बहुत पुरानी है।
पहले तो सिर्फ रामपुर सीट (Rampur seat) पर आजम खान का ही वर्चस्व था, लेकिन 2017 के चुनाव में जिले की स्वार सीट (swarm seat) पर भी उन्होंने अपनी दमदारी साबित कर दी थी। स्वार से आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम बड़े मार्जिन से चुनाव जीते थे। अब्दुल्ला ने नवाब काजिम अली खान (Nawab Kazim Ali Khan) को पटखनी दी थी। खान वर्ष 2002 से लगातार यहां से विधायक रहे थे। अब्दुल्ला के हाथों शिकस्त मिलने के बाद अब नवाब काजिम अली उर्फ नावेद मियां उसकी कसर रामपुर में आजम खान से निकालने को बेताब हैं। वे रामपुर से कभी नहीं लड़े, लेकिन इस बार कांग्रेस से ताल ठोक रहे हैं।
सक्सेना परिवार की आजम खान से सियासी अदावत बहुत पुरानी है। शिवबहादुर सक्सेना जिले (Shiv Bahadur Saxena District) में भाजपा के पहले झंडाबरदार थे। आजम खान जब रामपुर से पहली बार लड़े थे तब भाजपा से शिवबहादुर सक्सेना (Shiv Bahadur Saxena) ने ही टक्कर दी थी। जब लगातार हार मिली तो सीट बदलकर वे स्वार टांडा चले गए। वहां से चार बार 1989, 1991, 1993 और 1996 में भाजपा के विधायक चुने गए। इस पुराने भाजपाई की जीत का रथ नवाब काजिम अली खान ने 2002 में रोक दिया। अब शिव बहादुर सक्सेना के बेटे आकाश सक्सेना रामपुर में आजम खान को चुनौती दे रहे हैं। उन्हें भाजपा ने लड़ाया है। आकाश सक्सेना ने आजम खान के खिलाफ 33 मुकदमें दर्ज कराए हैं।
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