माखननगर। नगर सरकार बनाने 13 जुलाई को माखननगर में सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा। माखननगर के 15 वार्डों में से 14 वार्डों के लिए मतदान होना है, जहां उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। वार्ड—5 में कांग्रेस प्रत्याशी अनुजा हर्षित गुरू निर्विरोध निर्वाचित हो गई है। वैसे तो माखननगर के 14 वार्डों में कई जगह निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन वार्ड—3 में आम आदमी पार्टी यानी आप की मौजूदगी ने यहां चुनाव को रोचक बना दिया है। आम आदमी पार्टी की मौजूदगी से शीर्ष पार्टियों के समीकरण गड़बड़ा गए हैं। यहां आम आदमी पार्टी यानी आप से श्रीमति कंचन दीपक शर्मा, कांग्रेस से अरविंद सोलंकी और बीजेपी से गनपत सिंह पार्षद प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। कंचन ग्रहणी के साथ—साथ सेल्फ डिपेंड महिला हैं और युवा है। वहीं अरविंद सोलंकी पत्रकार है और गनपत बीजेपी से उम्मीदवार। ऐसे में सभी की निगाहे इसी वार्ड पर है कि जनता इस बार किसे चुनेगी।
ये है वार्ड का जातीय समीकरण
वार्ड—3 में यादव वोटर हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहे हैं। यह वार्ड अनारक्षित होने पर भी इस बार किसी भी पार्टी से यादव प्रत्याशी मैदान में नहीं है। इससे अब यह आंकलन लगाना कठिन हो रहा है कि उंट किस करवट बैठने वाला है। पार्षद प्रत्याशी के रूप में यहां एक युवा ब्राह्मण महिला और दो ठाकुर पुरूष मैदान में है। कोई भी शीर्ष पार्टी के उम्मीदवार को यहां क्लीन स्विप नहीं है। कुल मिलाकर चुनाव फंसा हुआ है।
मतदाताओं की खामोशी ने बढ़ाई धड़कने
किसी भी शीर्ष पार्टी का प्रत्याशी वार्ड—3 में आसानी से चुनाव जीत रहा हो, ऐसी स्थिती वार्ड में नहीं है। मैदान में यादव प्रत्याशी नहीं होने से यादव वोट टूटने के डर से वैसे ही प्रत्याशियों के पसीने छूट रहे हैं। ऐसे में वोटरों की खामोशी ने प्रत्याशियों के दिल की छड़कने बढ़ा दी है। आम आदमी पार्टी प्रत्याशी की चुनावी रणनीति और कैंपेन ने भी असमंजस की स्थिती पैदा कर दी है।
वार्ड को तीसरे विकल्प से नहीं ऐतराज
वार्ड—3 के मतदाताओं को तीसरे विकल्प से भी ऐतराज नहीं रहा है। पिछली परिषद में यहां के मतदाताओं ने भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को नकारकर निर्दलीय प्रत्याशी राधेलाल यादव को जिताया था। कुल मिलाकर वार्ड—3 के मतदाता यदि प्रत्याशी साफ—सुथरा छवि का है तो तीसरे विकल्प को स्वीकार करने में भी परहेज नहीं करते हैं। यही कारण है कि इस बार आम आदमी पार्टी की मौजूदगी ने शीर्ष पार्टियों के नेताओं की चिंता को बढ़ा दिया है।
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