आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक (National convenor) अरविंद केजरीवाल ने को घोषणा की कि उनकी पार्टी वर्ष 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव लड़ेगी। ‘दिल्ली मॉडल’ के सहारे पार्टी को उम्मीद है कि आप को इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिलेगी। पार्टी सांसद संजय सिंह लंबे समय से प्रदेश में पार्टी की जमीन तैयार करने में जुटे हैं, लेकिन क्या अरविंद केजरीवाल उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का किला भेद पाएंगे?
उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) की राजनीति दिल्ली( Politics delhi) से बहुत अलग है। यहां समाजवादी पार्टी और बसपा जैसी कई पार्टियों की राजनीति जातिगत समीकरणों पर टिकी है। पार्टी उम्मीदवार तय करते समय और मतदाता मतदान करते समय जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हैं। सबसे नई और संभवतः सबसे बड़ी चुनौती योगी आदित्यनाथ की है, जिन्होंने हिंदूवादी राजनीति को एक नया आयाम देने की कोशिश की है। इससे शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण स्तर तक के वोटरों का धार्मिक आधार पर विभाजन हो गया है, ऐसे में अरविंद केजरीवाल क्या यह किला जीत पाएंगे? विशेषकर इस बात को ध्यान में रखते हुए कि पार्टी को यहां 2014 के लोकसभा चुनावों में कोई सफलता हासिल नहीं हो सकी थी।
‘दिल्ली मॉडल’ आप का हथियार : आप सांसद संजय सिंह का मानना है कि उत्तर प्रदेश की तरह इसी प्रकार के समीकरण देश की राजधानी दिल्ली में भी उपलब्ध थे। यहां भी परंपरागत पार्टियां जातीय, धार्मिक समीकरणों के आधार पर उम्मीदवार तय करती हैं। इनका मानना है कि मतदाता केवल जातीय-धार्मिक समीकरणों के आधार पर ही वोटिंग करते हैं, लेकिन जैसे ही मतदाताओं के सामने साफ पानी, मुफ्त बिजली, स्कूल और स्वास्थ्य की उच्चकोटि की सुविधा मिली, उन्होंने जमी-जमाई राजनीतिक दुकानें बंद कर दीं। आज दिल्ली का मतदाता अपने लिए और अपने बच्चों के लिए अच्छी सुविधाओं के नाम पर वोट करता है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश के लोगों को जैसे ही यह विकल्प मिलेगा, वे भी इसके पक्ष में वोट करेंगे।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस की जनांदोलन कमेटी के सहसंगठन प्रभारी रह चुके अभिमन्यु त्यागी ने कहा कि आम आदमी पार्टी भाजपा की बी टीम है। वे दिल्ली में आप को मैदान में उतारकर सेकुलर वोटरों का बंटवारा कर कांग्रेस को कमजोर करने की साजिश रच चुके हैं। अब वे यही प्रयोग उत्तर प्रदेश में करना चाहते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश का मतदाता बिल्कुल अलग है और आप की यह राजनीति यहां सफल नहीं होने वाली।
त्यागी ने कहा कि यही आम आदमी पार्टी है, जिसने कोरोना काल में यूपी वालों को आनंदविहार बॉर्डर पर लाकर छोड़ दिया। जबकि उन्हें घर पहुंचाने के लिए कांग्रेस की बसों को पहले तो परमिट नहीं दी गई, बाद में उनके नेताओं पर केस दर्ज कर दिए गए। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो कांग्रेस नेताओं पर केस दर्ज हो रहे थे। वहीं आम आदमी पार्टी को आगे बढ़नेे दिया जा रहा था। उसके नेता योगी आदित्यनाथ को सीधे तौर पर गाली देकर भी बचे रहे। इसी से साफ होता है कि यह भाजपा की साजिश है, लेकिन यह साजिश यूपी में कामयाब नहीं होगी क्योंकि यहां का मतदाता बहुत परिपक्व है।
यूपी भाजपा के नेता नरेंद्र सिंह देवड़ी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की राजनीति का असली चेहरा जनता ने दिल्ली दंगों के दौरान देख लिया है। उत्तर प्रदेश के लोग बहुत परिपक्व हैं और ऐसी पार्टी को कोई अवसर नहीं देगे, जिसके नेता इस प्रकार की हिंसा में यकीन रखते हैं। देवड़ी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी ताकत यूपी में आजमाकर देख लिया है। उनके सभी नेताओं की जमानत जब्त हुई थी और अगर वे विधानसभा चुनाव लड़ते हैं, तो भी उन्हेंं इसी प्रकार का परिणाम हासिल होगा।
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